देहरादून। केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना ‘मनरेगा’ में बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। उत्तराखंड के कई जिलों में उत्तराखंड सामाजिक अंकेक्षण (उसाटा) जवाबदेही एवं पारदर्शिता अभिकरण की ओर से कराए गए सोशल आॅडिट में इस बात का खुलासा हुआ है कि निर्माण कार्य के लिए सीमेंट, सरिया और बाकी सामानों की खरीद तो की गई लेकिन मौके पर जांच में पता चला कि कोई निर्माण हुआ ही नहीं लेकिन उसके लिए भुगतान कर दिया गया। रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ कि मनरेगा अधिकारियों ने पंचायतों के साथ मिलकर बड़ा घपले को अंजाम दिया है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड सामाजिक अंकेक्षण जवाबदेही एवं पारदर्शिता अभिकरण की ओर से राज्य के रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़ जिले की 39 ग्राम पंचायतों की ऑडिट रिपोर्ट केंद्र व प्रदेश सरकार को सौंप दी गई है। बता दें कि सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों की आॅडिट में इस बात का पता चला कि मनरेगा के कामों में बड़े पैमाने पर घोटाला किया जा रहा है। उसाटा ने अप्रैल व मई माह में उत्तरकाशी जिले के नौगांव, रुद्रप्रयाग के जखोली, पौड़ी गढ़वाल के नैनीडांडा, पिथौरागढ़ के धारचूला विकासखंड की 39 पंचायतों में मनरेगा कार्यों का सोशल आडिट किया।
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बता दें कि नौगांव ब्लाॅक को मनरेगा के तहत शौचालय के निर्माण के लिए 96 हजार रुपये दिए गए थे लेकिन जांच में पता चला कि वहां शौचालय का निर्माण किया ही नहीं गया। इसके साथ ही तीन कार्ययोजना में सुरक्षा दीवार के लिए माप पुस्तिका में 9.5 लाख रुपये का दर्शाया गया लेकिन आॅडिट टीम को मौके पर कोई काम नहीं मिला।
इसी तरह से नैनीडांडा के भौन पंचायत में गौशाला व बकरी बाड़ा बनाने के लिए 125 सीमेंट बैग के साथ रेत, सरिया का क्रय दर्शाया गया जबकि गौशाला व बकरी बाड़ा में सीमेंट व सरिया का प्रयोग नहीं हुआ। कागजों में निर्माण सामग्री क्रय कर हजारों रुपये का गोलमाल सामने आया है। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार कई पंचायतों में मनरेगा कार्यों के बिलों को ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी के हस्ताक्षर बिना ही स्वीकृत किया गया। मस्टरोल में फ्ल्यूड लगाकर ओवर राइटिंग की गई। मनरेगा कार्यों के रिकॉर्ड में भी बड़ी गड़बड़ी पाई गई है।