देहरादून। राज्य में सोमवार से स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ने वाली है। सरकारी अस्पतालों में तैनात करीब 113 विशेषज्ञों ने कार्य बहिष्कार का फैसला लिया है। इनमें रेडियोलाजिस्ट, एनेस्थेटिक, पैथोलाजिस्ट समेत तमाम अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल हैं। इन डाॅक्टरों के कार्य बहिष्कार करने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि इन डाॅक्टरों ने उप्र के मेडिकल काॅलेजों से विशेषज्ञता हासिल की है और कई सालों से अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अब सरकार इनके पीजी डिप्लोमा की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं इससे उन्हें काफी नाराजगी है।
गौरतलब है कि डाॅक्टरों का कहना है कि पीजी डिप्लोमा का कोर्स उन्हें सरकार ने ही कराया है। ऐसे में उन्हें इसके लिए उचित पैरवी करनी चाहिए। बता दें कि पिछले सालों में उत्तराखंड के डॉक्टरों को विशेषज्ञता हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटें आवंटित की गई है। इस व्यवस्था के तहत अब तक कुल 113 डॉक्टर उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से पीजी डिप्लोमा चुके हैं जबकि 19 अभी भी अध्ययनरत हैं।
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यहां बता दें कि इन डाॅक्टरों ने जिन काॅलेजों से पीजी किया उन काॅलेजों ने उन्हें गैर मान्यताप्राप्त वाली सीटों पर दाखिला दे दिया। ऐसे में अब उनकी डिग्री पर सवाल उठने लगे हैं। गौर करने वाली बात है कि अब राज्य में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू होने वाला है और आयुष्मान भारत योजना भी शुरू हो चुकी है। इनमें चिकित्सकों का विषय योग्यता में पंजीकरण आवश्यक रूप से दिखाना है। ऐसे में अब विशेषज्ञ डाॅक्टरों के कार्यबहिष्कार से लोगों की परेशानियों में इजाफा होने वाला है।