Tuesday, April 23, 2024

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देवभूमि की शिक्षा व्यवस्था को आइना दिखाता एक स्कूल, दे रहा मुफ्त शिक्षा

अंग्वाल न्यूज डेस्क
देवभूमि की शिक्षा व्यवस्था को आइना दिखाता एक स्कूल, दे रहा मुफ्त शिक्षा

रुड़की। सभी अभिभावकों की चाहत होती है कि उसका बच्चा अच्छी से अच्छी शिक्षा हासिल करे। इसके लिए मोटी फीस चुकाने से भी वो पीछे नहीं हटते हैं। प्रदेश में शिक्षा की हालत कैसी है यह किसीसे छिपी नहीं है। ऐसे में उत्तराखंड की शिक्षानगरी रुड़की में मौजूद यह स्कूल उन्हें आइना दिखाने का काम कर रहा है। यह स्कूल किसी भी बच्चे फीस नहीं लेता है। आइए जानते हैं कैसे हुआ यह मुमकिन, किसकी मेहनत और सोच है इसके पीछे।

पढ़ाई के अलावा छात्राओं की मदद

गौरतलब है कि यह संभव हो पाया है सुधीर शर्मा के अथक प्रयासों से। सुधीर पिछले आठ साल से आर्थिक रूप से कमजोर, अनाथ व दिव्यांग बच्चों के लिए इस निःशुल्क विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। आपको बता दें कि सुधीर उन बच्चों के लिए किसी भगवान से कम साबित नहीं हो रहे हैं जो पढ़ना तो चाहते हैं लेकिन आर्थिक स्थिति उनकी राह में अड़चन बन रही है। रुड़की के अंबर तालाब इलाके में यह ‘डिवाइन स्कूल’ चलाया जा रहा है। इस समय डिवाइन स्कूल में प्री फस्र्ट से लेकर बारहवीं कक्षा तक के 172 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इनमें छात्र और छात्राओं की संख्या करीब-करीब समान है। इस स्कूल में छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिंग भी दी जा रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस स्कूल में किसी भी छात्र से फीस नहीं ली जाती है। इतना ही नहीं स्कूल की तरफ से गरीब परिवार की लड़की की शादी होने पर उसकी आर्थिक मदद भी की जाती है। 

स्कूल ही मुहैया कराता है ड्रेस और किताबें

सुधीर बताते हैं कि इस स्कूल में सबसे अमीर छात्र जो है उसके माता-पिता यहां बाजार में स्टाॅल लगाते हैं। इसके अलावा यहां झुग्गी-झोपड़ी, कूड़ा बीनने वाले, दिव्यांग और अनाथ बच्चे पढ़ते हैं। इस स्कूल में बच्चों के दाखिले के लिए एक सुधीर ने एक शर्त जरूर रखी है कि बच्चे को वास्तव में पढ़ने का शौक होना चाहिए। हर साल यहां 20 बच्चों का प्रवेश दिया जाता है। आपको बता दें कि सुधीर अपने भाइयों और कुछ समाजसेवी संस्थाओं की मदद से यह स्कूल चला रहे हैं। यहां प्रवेश लेने वाले बच्चों को स्कूल की तरफ से दो जोड़ी ड्रेस, कॉपी-किताब, मोजे, स्वेटर आदि उपलब्ध करवाए जाते हैं। 


सेवा के लिए चलाते हैं स्कूल

आपको बता दें कि सुधीर सुबह अपना वक्त स्कूल को देते हैं और शाम को क्लीनिक चलाते हैं। सुधीर ने रैकी थेरेपी में प्राणिक हीलिंग, थॉट्स थेरेपी आदि में कई कोर्स किए हैं। उनका कहना है कि बच्चों और शिक्षकों के वेतन को लेकर एक महीने का खर्च करीब 80 हजार रुपये आता है। कभी-कभी तो उन्हें अपनी पूरी कमाई इसी में खर्च करनी पड़ती है पर उन्हें इस बात का कोई अफसोस नहीं है। उनका कहना है कि इससे उन्हें आत्मसंतुष्टि मिलती है। 

30 बच्चों से शुरू किया था स्कूल

सुधीर ने वर्ष 2008 में उन्होंने दो कमरों में 30 बच्चों से स्कूल की शुरुआत की थी। आज इस स्कूल में 17 कमरों के अलावा एक कंप्यूटर लैब भी है। वर्तमान में उनके स्कूल में प्रिंसीपल के अलावा 12 शिक्षक हैं। 

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