देहरादून। प्रदेश में हुए टैक्सी बिल घोटाले में लिप्त कर्मचारियों और आरोपियों से ही घोटाले की रकम वसूली जाएगी। अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश इस मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए कार्मिक विभाग को भी चिट्ठी भेजी दी है। अब यह विभाग तय करेगा कि सरकार हुए नुकसान को देखते हुए किस आरोपी से कितने पैसे वसूले जाएं। बता दें कि इस घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री के निजी सचिव का नाम भी शामिल है।
ये है मामला
गौरतलब है कि साल 2009 से लेकर 2013 तक मुख्यमंत्रियों के टूर के नाम पर टैक्सी के बिलों का भुगतान किया गया था। यह बिल करीब पौने दो करोड़ रुपये का था। इसकी जांच में पता चला कि मुख्यमंत्री कार्यालय और ट्रेवल एजेंसियों के अधिकारी मिलकर गलत तरीके से भुगतान करा लिए। इस मामले में कोषागार, शासन और स्वास्थ्य महानिदेशालय व सीएमओ कार्यालयों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई थी। अब इसकी जांच अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश कर रहे हैं। उनकी तरफ से पत्रावलियां कार्मिक विभाग को भेज दी गई है ताकि आरोपियों पर कार्रवाई की जा सके।
किया गया फर्जी भुगतान
आपको बता दें कि जांच में इस बात की भी पुष्टि हुई है कि निजी सचिवों ने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर बिलों का भुगतान किया है। यहां तक कि बिलों की कोई जांच भी नहीं की गई। जांच में कई फर्जी बिल पाए गए, कई ऐसे बिल भी पाए गए हैं जिनका भुगतान टैक्सी के नंबरों पर हुआ है लेकिन से स्कूटरों के नंबर थे। अपर मुख्य सचिव के कार्यालय की तरफ से सचिवालय के कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के लिए भी पत्र भेजा गया लेकिन उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
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वसूली जाएगी घोटाले की रकम
इस घोटाले में सचिवालय के अलावा दूसरे विभागों के कर्मचारी भी लिप्त हैं, ऐसे में एक चिट्ठी कार्मिक को भी भेजी गई है। विभाग से घोटाले में लिप्त कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के साथ सरकार को हुए नुकसान की वसूली उनसे ही करने को कहा गया है। बता दें कि इस मामले में बिल पर किए गए हस्ताक्षर की हैंडराइटिंग मिलान के लिए भेजी गई थी उसमें से एक पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के निजी सचिव की हैंडराइटिंग होने का दावा किया जा रहा है। बाकी की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। अब देखना है कि अपर मुख्य सचिव की तरफ से जारी की गई चिट्ठी का क्या असर होता है!