देहरादून। बिना डीएलएड वाले प्राइमरी और उच्च माध्यमिक शिक्षकों को सरकार की तरफ से अल्टीमेटम मिलने के बाद अब उन्हें कोर्स कराने की तैयारी शुरू कर दी गई है। उत्तराखंड शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) मिलकर शिक्षकों को यह कोर्स करा रहा है। इसके लिए एनआईओएस के क्षेत्रीय निदेशक प्रदीप कुमार रावत को नोडल आॅफिसर बनाया गया है। बता दें कि अब सरकारी के साथ-साथ निजी स्कूलों में भी कक्षा एक से लेकर आठ तक के शिक्षकों के लिए डीएलएड अनिवार्य कर दिया गया है।
एनआईओएस तैयार करेगा लाॅगइन और पासवर्ड
गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत अब सभी जूनियर हाईस्कूलों के सभी शिक्षकों के लिए दो वर्षीय डिप्लोमा अनिवार्य कर दिया गया है। उत्तराखंड का शिक्षा विभाग एनआईओएस को ऐसे सभी शिक्षकों की सूची उपलब्ध करा रहा है जिन्हें यह कोर्स करने की आवश्यकता है। एनआईओएस इन सभी शिक्षकों के लिए लाॅगइन और पासवर्ड तैयार करेगा।
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डीएलएड हुआ अनिवार्य
शिक्षकों के लिए दो वर्षीय डीएलएड कोर्स अनिवार्य कर दिया गया है। उत्तराखंड शिक्षा विभाग ऐसे सभी कार्यरत शिक्षकों और उनके स्कूलों की सूची एनआइओएस को उपलब्ध करा रहा है, जिन्हें डीएलएड कोर्स करने की आवश्यकता है जिस पर संबंधित स्कूल के प्राधानाचार्य डीएलएड अप्रशिक्षित शिक्षकों की सूची अपलोड करेंगे। यहां बता दें कि डीएलएड कोर्स की फीस छह हजार रुपए प्रतिवर्ष रखी गई है। शिक्षकों का प्रवेश आॅनलाइन www.nios.ac.in पर होंगे। रावत ने बताया कि बीएड डिग्रीधारक ऐसे शिक्षकों के लिए भी यह कोर्स अनिवार्य है, जो प्राइमरी और जूनियर कक्षाओं में पढ़ा रहे हैं। अगर कोई शिक्षक कोर्स के बारे में जानना चाहता है तो वह वेबसाइट पा जाकर जरूरी जानकारी ले सकता है।