देहरादून। राज्य सरकार और शिक्षकों के बीच अभी भी सबकुछ ठीक होता दिखाई नहीं दे रहा है। कांग्रेस के शासनकाल में हुए तबादलों को निरस्त करने से शिक्षकों में काफी नाराजगी है। शिक्षकों का कहना है कि उनका तबादला 3 से 5 सालों के लिए किया गया था ऐसे में मात्र डेढ़ सालों के अंदर उसे निरस्त करना सही नहीं है। वहीं दूसरी तरफ इस बात पर सरकार ने अपना रुख पहले ही साफ कर दिया है, शिक्षा मंत्री और शिक्षा सचिव ने तबादला आदेश निरस्त करने के फैसले को वापस लेने से इंकार कर दिया है।
गौरतलब है कि 24 नवंबर 2016 को सशर्त तबादलों की सुविधा के शासनादेश के तहत बेसिक, जूनियर और माध्यमिक स्तर पर करीब 500 शिक्षकों के तबादले हुए थे। इसके बाद भाजपा सरकार ने 25 अप्रैल 2018 को सरकार ने बेसिक और जूनियर के शिक्षकों के तबादला आदेश निरस्त कर दिए हैं। सरकार के इस फैसले से नाराज शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय पर धरना भी दिया। शिक्षकों का कहना है कि सरकार उनके साथ नाइंसाफी कर रही है।
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यहां बता दें कि शिक्षकों का कहना है कि प्रदेश सरकार को शिक्षकों की परेशानियों को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2017 में बीमार और पारिवारिक रूप से परेशान शिक्षकों का तबादला किया गया था। ऐसे में सरकार को शिक्षकों का तबादला समय से पहले निरस्त नहीं करना चाहिए। अब इस बात को लेकर शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे पर भी दवाब बढ़ता जा रहा है।