देहरादून। मुख्यमंत्री को सिपाहियों की समस्या से जुड़े गुमनाम पत्र भेजने वाले दो सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया गया है। मिशन आक्रोश के बाद अब ‘मिशन महाव्रत’ ने राज्य पुलिस की चिंता बढ़ा दी है। मिशन महाव्रत से पहले पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए बगावत पर उतरे दो सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया है। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के प्रभारियों की बैठक लेकर अनुशासन बनाए रखने का सर्कुलर जारी कर दिया है। एलआईयू को पूरे मामले पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
मिशन महाव्रत
गौरतलब है कि सितंबर और नवंबर के महीने में मुख्यमंत्री नाम पुलिस के सिपाहियों की समस्याओं से जुड़ा गुमनाम पत्र भेजा गया था। इस पत्र में सिपाहियों ने 6 जनवरी से मिशन महाव्रत की चेतावनी दी थी। पुलिस मुख्यालय के साथ एलआईयू की तरफ से ऐसे पुलिसकर्मियों पर नजर रखी जा रही है। बता दें कि चमोली जिले में कुछ सिपाहियों ने मिशन महाव्रत नाम से व्हाट्सएप ग्रुप बनाते हुए इस आंदोलन को हवा देने की कोशिशें की हैं लेकिन एलआईयू ने इसकी सूचना तुरंत पुलिस मुख्यालय और एसपी को दे दी। इसी रिपोर्ट के आधार पर एडीजी अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने सभी जिला प्रभारियों की बैठक लेते हुए सतर्क रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि अनुशासन तोड़ने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
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2015 में मिशन आक्रोश
यहां बता दें कि गुमनाम पत्र लिखने के आरोप में चमोली के दोनों सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया है। ऐसे और भी सिपाहियों की पहचान की जा रही है। कुछ और को चिह्न्ति किया जा रहा है। यहां यह भी बता कि साल 2015 में सिपाहियों की तरफ से मिशन आक्रोश के नाम से आंदोलन चलाया गया था। इसमें कुछ सिपाहियों ने काली पट्टी बांधी, पुलिस लाइन की मेस में खाने से इन्कार समेत अन्य कदम उठाए थे। बाद में सिपाहियों की कुछ मांगें मानी भी गई थी।
ये हैं मांगें
अब जो गुमनाम पत्र भेजा गया है उसमें सिपाहियों ने मांग की है कि उनके ग्रेड वेतनमान और भत्ते बढ़ाए जाएं। राजपत्रित अवकाश के बदले मानदेय मिले। ट्रेनिंग के दौरान का पूर्ण वेतन दिया जाए। अवकाश के बदले नकदीकरण की सुविधा दी जाए। सिविल और सशस्त्र पुलिस को भी विशेष भत्ता दिए जाए। पौष्टिक आहार भत्ता बढ़ाया जाए।