देहरादून। राज्य में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षक बनने वालों का एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। इसमें एक ही प्रमाण पत्र के आधार पर दो शिक्षक 21 सालों से नौकरी कर रहे हैं। इन शिक्षकों में से एक तो फिलहाल प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात हैं। बता दें कि एसआईटी द्वारा शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच में यह मामला सामने आया है। जांच में मामले की पुष्टि होने के बाद एसआईटी ने रामनगर में तैनात इस शिक्षक के फर्जी होने की रिपोर्ट शिक्षा विभाग को भेज दी है।
फर्जी दस्तावेज
गौरतलब है कि राज्य में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद इसकी जांच एसआईटी द्वारा शुरू की गई है। इसमें फर्जी प्रमाणपत्रों वाले 12 शिक्षकों को बर्खास्त भी किया जा चुका है। एसआईटी को यह खबर मिली थी कि रामनगर में राजकीय प्राथमिक विद्यालय थारी में तैनात शिक्षक रामकिशोर के प्रमाण पत्र फर्जी हैं। इसके बाद एसआईटी की तरफ से महीने भर से ज्यादा समय तक की गई जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि यह प्रमाणपत्र राजकीय प्राथमिक विद्यालय छजलैट मुरादाबाद उत्तर प्रदेश में तैनात शिक्षक रामकिशोर के हैं। इसके बाद जांच टीम मुरादाबाद पहुंची तो यहां इस बात की पुष्टि हुई।
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फिलहाल प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात
आपको बता दें कि जांच टीम की प्रभारी एएसपी श्वेता चैबे ने बताया कि जांच में रामनगर नैनीताल के शिक्षक रामकिशोर के प्रमाणपत्र संदिग्ध पाए गए हैं। इसकी पुष्टि उसके भाइयों ने करते हुए कहा कि राम किशोर का असली नाम नरेश राम है। उनके भाइयों ने यह भी बताया कि उनके भाई का नाम रामकिशोर होने की उन्हें कोई जानकारी ही नहीं है। अब जांच में खबर की पुष्टि होने के बाद एसआईटी ने शिक्षा विभाग को पूरी रिपोर्ट भेज दी है। बता दें कि रामकिशोर उर्फ नरेश राम को पहली नियुक्ति अल्मोड़ा में 1996 में मिली थी। यहां से उसका ट्रांसफर 2002 में रामनगर हुआ और फिलहाल वे राजकीय प्राथमिक विद्यालय थारी रामनगर में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात हैं।