Friday, April 19, 2024

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 नौकरी ज्वाइन करने से पहले नारेबाजी करना नौजवानों को पड़ा महंगा, बोर्ड ने चयन निरस्त करने का नोटिस किया जारी

अंग्वाल न्यूज डेस्क
 नौकरी ज्वाइन करने से पहले नारेबाजी करना नौजवानों को पड़ा महंगा, बोर्ड ने चयन निरस्त करने का नोटिस किया जारी

देहरादून। सरकारी नौकरी ज्वाइनिंग से पहले नारेबाजी करना 3 नौजवानों को काफी महंगा पड़ा है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड ने सींचपाल पद पर चयनित इन तीनों युवकों को ज्वाइनिंग के लिए आयोग के दफ्तर में प्रदर्शन के साथ ही अधिकारियों के साथ अभद्रता के आरोप में चयन निरस्त करने का नोटिस जारी कर दिया है। बता दें कि 8 युवक एक दिन पहले आयोग के कार्यालय पहुंचकर नारेबाजी की और परीक्षा परिणाम जारी करने की मांग करने लगे। 

नारेबाजी करने वालों की हुई पहचान

गौरतलब है कि इन युवकों पर यह भी आरोप लगाया गया है कि इन्होंने आयोग के अधिकारियों से अभद्रता भी की। आयोग के सचिव संतोष बडोनी ने बताया कि प्रदर्शन करने वाले 8 अभ्यर्थियों में से 3 की पहचान कर ली गई है। इसमें सुरेशानंद, भगवती प्रसाद और भोपाल सिंह शामिल हैं। यहां बता दें कि इन तीनों उम्मीदवारों का चयन सींचपाल के पद पर हो चुका था लेकिन अंतिम नियुक्ति नहीं हुई है। इस बात से खफा होकर इन्होंने आयोग के दफ्तर में नारेबाजी की। युवाओं का कहना था कि अब हाईकोर्ट भी नियुक्ति के आदेश दे चुका है, ऐसे में शीघ्र नियुक्ति दी जाए। 

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तीनों से मांगा जवाब


यहां बता दें कि बड़ोनी ने बताया कि वैसे भी रिजल्ट को लेकर अभी कोर्ट में एक मामला लंबित है। बताया कि इस बारे में सोशल मीडिया पर भी आयोग की छवि खराब की जा रही है। ऐसे व्यवहार को देखते हुए राज्य सेवा में चयन का अधिकार खत्म करने को लेकर तीनों से जवाब मांगा गया है। सचिव ने बताया कि आयोग कार्यालय सीसीटीवी फुटेज की जांच कर कानूनी कार्रवाई भी कर रहा है। साथ ही कोर्ट के आदेश मिलने के बाद इन अभ्यर्थियों को छोड़कर बाकी के चयन की संस्तुति जारी कर दी जाएगी। 

हाईकोर्ट में याचिका दायर

गौर करने वाली बात है कि राज्य में सींचपाल के पदों पर पिछले साल 21 मई को सिंचाई विभाग द्वारा लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था। अगस्त में परीक्षा का परिणाम घोषित होने के बाद चयनित उम्मीदवारों को अभिलेख सत्यापन के लिए बुलाया गया इस बीच हाईकोर्ट में कई रिट याचिकाएं दायर की गईं हैं। इसके बाद चयन पर रोक लगा दी गई। हालांकि अभी तक आयोग को कोर्ट के फैसले की प्रति नहीं मिली है।  

  

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