नैनीताल। उत्तराखंड में अब समकक्ष परीक्षा पास और उर्दू विषय में बिना डिग्री के प्राथमिक सहायक शिक्षक बनना मुश्किल है। शिक्षक बनने के लिए टीईटी जरूरी है। शिक्षक पद पर नियुक्ति के लिए उर्दू मोअल्लिम डिग्री अयोग्य घोषित कर दी गई है। बता दें कि ऊधमसिंह नगर के मोहम्मद हफीज और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सहायक शिक्षक के आवेदनों को निरस्त करने को चुनौती दी थी।
मोहम्मद हफीज ने दायर की याचिका
गौरतलब है कि मोहम्मद हफीज का कहना है कि उनके पास मुअल्लिम की डिग्री है जो बीटीसी के समकक्ष मानी जाती है। उत्तरप्रदेश सरकार में यही नियम लागू है। इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने इन आवेदकों को नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने के आदेश दिए थे। बाद में सरकार ने इस पर विशेष अपील दायर कर एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी। सरकार की ओर से स्थाई अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने कहा कि 2012 की नियमावली के अनुसार यह डिग्री पद के योग्य नहीं है।
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अभ्यर्थियों की याचिका खारिज
त्रिपाठी ने कहा कि राज्य में प्राथमिक सहायक शिक्षक बनने के लिए स्नातक डिग्री के साथ बीटीसी और टीईटी की डिग्री अनिवार्य है। ऐसे मंे ये शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के योग्य ही नहीं हैं। उत्तराखंड में वे शिक्षक ही प्राथमिक सहायक शिक्षक बन सकत हैं जिनके पास उर्दू विषय के साथ स्नातक के साथ दो सालों की बीटीसी और टीईटी की डिग्री है। उर्दू मोअल्लिम एक साल का है और राज्य में समकक्ष डिग्री को नौकरी के लिए अयोग्य घोषित किया जा चुका है, ऐसे में आवेदक पात्र नहीं है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने सरकार की दलीलें स्वीकार कर अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज कर दिया।