देहरादून। सीमित संसाधनों और आर्थिक परेशानियों से जूझ रही उत्तराखंड सरकार ने एक बार फिर से खुले बाजार से 300 करोड़ रुपये का ऋण लिया है। सरकार ने इसके पीछे राज्य में कृषि के विकास और ग्रामीण इलाके में बुनियादी सुविधाओं के पूरा करने का हवाला दिया है। हालांकि जानकारों का मानना है कि राज्य सरकार पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और महंगाई भत्ता दिए जाने से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है। गौर करने वाली बात है कि इससे पहले भी सरकार कर्मचारियों को वेतन देने के लिए खुले बाजार से लोन लिया था।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने किसानों को सीमित संसाधनों का हवाला देते हुए ऋणमाफ करने से इंकार कर दिया है लेकिन कुछ ही दिनों पहले सरकारी कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के साथ ही उनके महंगाई भत्ते में भी इजाफा करने का ऐलान किया था। राज्य सरकार ने इन जरूरतों को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक में आवेदन दिया था।
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बता दें कि ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार वित्तीय खर्च के दबाव से निपटने के लिए खुले बाजार से कर्ज ले रही है। खबरों के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने अभी तक करीब 4000 करोड़ रुपये का लोन लिया है। बताया जा रहा है कि सरकार ने यह ऋण 8 से 15 फीसदी के ब्याज पर यह ऋण लिया है।