देहरादून । उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत सरकार ने राज्य कर्मचारियों के 15 भत्तों को खत्म करने का फैसला लिया है। आगामी 1 फरवरी से इन राज्य कर्मचारियों को इन भत्ते का लाभ नहीं मिलेगा। वित्त सचिव अमित नेगी ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि यह निर्णय वेतन समिति की संस्तुतियों के आधार पर किया गया है, जिसे राज्यपाल की अनुमित मिलने पर अब लागू किया जा रहा है। वहीं सरकार के इस फैसले को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कर्मचारी विरोधी करार देते हुए सरकार को चेतावनी दी है।
बता दें कि वित्त सचिव अमित नेगी ने वेतन समिति की संस्तुतियों के आधार पर जिन भत्तों की कटौती का ऐलान किया है, उसमें सीबीसीआईडी , अवैध खनन निरोधक इकाई , एसटीए और विजिलेंस कर्मियों को मिलने वाले विशेष भत्ते को भी शामिल किया गया है।
इसके अलावा जिन 15 भत्तों को 1 फरवरी से खत्म किया जा रहा है, उसमें ....
1- स्वैच्छिक परिवार कल्याण भत्ता
2- प्रतिनियुक्ति भत्ता
3-प्रशिक्षण भत्ता
4- जीपीएफ पासबुक रखरखाव भत्ता
5- कैश भत्ता
6-द्विभाषी/कंप्यूटर भत्ता
7-कोषागार-उपकोषागार कर्मियों का आईपीएओ भत्ता
8- सचिवालय में तैनाती का भत्ता
9-स्नातकोत्तर भत्ता
10-संग्रह अमीनों का लेखन सामग्री भत्ता
11- लोक निर्माण विभाग नियोजन भत्ता
12- डिजाइन भत्ता
13- शोध भत्ता
14- प्रशिक्षण का भत्ता
15 - अन्वेषण का विशेष बत्ता
वहीं सरकार के इस फैसले को राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने महामंत्री अरुण पांडे ने सरकार के इस फैसले को कर्मचारी विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से राज्य की भाजपा सरकार ऐसी ही फैसले ले रही है। यह कर्मचारियों के लिए ठीक नहीं है।