देहरादून। उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी (उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय) को अब गढ़वाल के महान योद्धा, सेनापति और कुशल इंजीनियर माधो सिंह भंडारी के नाम पर ‘वीर माधो सिंह भंडारी तकनीकी विश्वविद्यालय’ के नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस नाम की घोषणा की है। बता दें कि 2005 में इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी लेकिन इसका नाम नहीं रखा गया था। एक कार्यक्रम में इस नाम का प्रस्ताव आया और इसे फौरन फाइनल भी कर दिया गया।
माधो सिंह भंडारी कौन थे
माधो सिंह भंडारी को ‘माधो सिंह मलेथा’ भी कहा जाता है। गढ़वाल के इस महान योद्धा ने आज से लगभग 400 साल पहले पहाड़ का सीना चीरकर नदी का पानी अपने गांव लेकर आए थे। माधोसिंह का जन्म सन् 1595 के आसपास उत्तराखंड के टिहरी जिले के मलेथा गांव में हुआ था इसी वजह से उन्हें माधो सिंह मलेथा के नाम से भी जाना जाता है। उनके पिता का नाम सोणबाण कालो भंडारी था, जो वीरता के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी बुद्धिमता और वीरता से प्रभावित होकर तत्कालीन गढ़वाल नरेश ने सोणबाण कालो भंडारी को एक बड़ी जागीर भेंट की थी।
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राज्य के मेधावी छात्रों को दिया 50 हजार का चेक
यहां बता दें कि उत्तराखंड तकनीकी विवि हर साल राज्य के ऐसे मेधावी छात्रों जिन्होंने आईआईटी, आईआईएम और एनआईटी में सबसे अच्छे अंकों के साथ प्रवेश परीक्षा पास की होगी उसे वित्तीय पुरस्कार देगा। ऐसे छात्रों को 50 हजार रुपये का चेक विश्वविद्यालय की ओर से सम्मान के तौर पर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कुछ छात्रों को चेक भी प्रदान किए।
शौर्य दीवार का किया उद्घाटन
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विवि के नए परिसर के साथ ही शौर्य दीवार का उद्घाटन किया। शौर्य दीवार में सभी परमवीर चक्र विजेताओं को सम्मान दिया गया। वहीं नए विश्वविद्यालय परिसर में ही बने नए भवन का उद्घाटन किया गया। इस नए भवन में ही ‘यूनिवर्सिटी एकेडमिया-इंडस्ट्री फोरम’ का संचालन होगा। सीएम ने कहा कि यूनिवर्सिटी एकेडमिया-इंडस्ट्री फोरम’ को छात्रों के लिए बेहतरीन प्लेटफार्म साबित होगा और इससे प्रदेश के युवाओं को बेहतर दिशा मिलेगी।