रुड़की। ये हैं रुड़की के प्रसिद्ध वैद्य टेक बल्लभ। आज जहां लोग बढ़ते प्रदूषण और अपने रहन-सहन के कारण तरह-तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं और इसके लिए महंगे से महंगे इलाज पर लाखों रुपये बहा रहे हैं। ऐसे मरीजों के लिए ये किसी देवदूत से कम नहीं हैं। लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े इसके लिए ये एक साल में तीन बार आयुर्वेदिक दवाओं से बनी खीर बांटते हैं। इसके खाने से कौन-कौन सी बीमारियों से आप निजात पा सकते हैं इसके बारे में हम आपको विस्तार से बताते हैं।
सैंकड़ों मरीजों को हुआ फायदा
ऐसा माना जाता है कि आयुर्वेदिक इलाज से मरीजों को ठीक होने में काफी वक्त लगता है लेकिन वैद्यजी ऐसा नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि रोग का पता जितना जल्दी चलेगा मरीज उतनी ही जल्दी ठीक भी होगा। वैद्य टेक बल्लभ अपने एक शिविर में करीब 700 लोगों को खीर खिलाते हैं। वैद्यजी ने इसके लिए अपने घर में ही सतावर, अश्वगंधा, कपूर, खश आदि प्रजाति के औषधीय पौधे लगाए हुए हैं। वहीं पहाड़ी बाजार स्थित क्लीनिक में वे आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को मामूली कीमत पर दवाइयां भी देते हैं। वैद्यजी 20 सालों में करीब 40 हजार से ज्यादा लोगों को खीर का सेवन करवा चुके हैं। टेक बल्लभ इन दवाओं को एक खास मुहूर्त में तैयार करते हैं। दवा पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में तैयार की जाती है। वैद्यजी खीर बनाने में साठी चावल, गाय के दूध और दुर्लभ जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते हैं।
खीर के साथ मुफ्त दवाई
दरअसल वैद्य टेक बल्लभ उत्तराखंड के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। वैद्य टेक बल्लभ पिछले करीब दो दशक से लोगों को स्वस्थ बनाने के प्रयास में तन-मन-धन से जुटे हुए हैं। वैसे तो पूरे शहर में इनके संगठन के 20 से 22 हैं इसके बावजूद 60 साल की उम्र में इनकी सक्रियता और काम करने का तरीका लोगों के लिए एक मिसाल बनी हुई है। टेक बल्लभ जी जो दवाएं तैयार करते हैं उन्हें बांटने का एक खास समय भी है। इनकी संस्था वर्ष में तीन बार शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा और मार्गशीर्ष पूर्णिमा के अवसर पर शिविर लगाकर लोगों को औषधीय खीर बांटती है। इस खीर के साथ में दमा, श्वास, नजला-जुकाम एवं खांसी की दवा भी मुफ्त में दी जाती हैं। वैद्यजी बच्चों के स्कूलों में भी स्वास्थ्य चर्चा और स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित कर बच्चों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। अगर आप भी सांस या अन्य किस्म की बीमारी से जूझ रहे हैं और इलाज कराकर थक चुके हैं तो एक बार वैद्यजी की शरण में आएं और परेशानियों ने निजात पाएं।