Friday, April 19, 2024

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दून में राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह में बोले उपराष्ट्रपति, वन रक्षा के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के साथ इंसेंटिव दिए जाएं

अंग्वाल न्यूज डेस्क
दून में राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह में बोले उपराष्ट्रपति, वन रक्षा के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के साथ इंसेंटिव दिए जाएं

देहरादून। देहरादून के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में बुधवार को भारतीय वन सेवा परिवीक्षार्थियों(प्रोबेशनर्स) के दीक्षान्त समारोह का आयोजन किया गया जिसमें देश के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु, राज्यपाल डाॅक्टर कृष्णकान्त पाल, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डाॅ. हर्ष वर्धन ने हिस्सा लिया। इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि राज्य में वनों के संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों से लेकर पंचायतों और निकायों के योगदान के लिए इंसेंटिव देने की बात कही है। नए वन अधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान बेहतर कार्य के लिए पुरस्कार भी दिए गए।

गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी व्यवस्था होने से राज्यों को, लोगों को ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। उपराष्ट्रपति ने जंगलों की महत्ता बताते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए वनों की रक्षा कितनी जरूरी है। नायडु ने नए अधिकारियों से वन सुरक्षा को एक आंदोलन का रूप देने की अपील की।  उन्होंने कहा कि समाज की आखिरी छोर पर खड़े लोगों का विकास पहले होना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने अधिकारियों को फाॅरेस्ट का मतलग भी समझाया। उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट का अर्थ है ‘‘फार फ्राॅम रेस्ट’’, वन अधिकारियों को चाहिए कि लोगों के साथ जुड़कर जनसेवा करे। उपराष्ट्रपति ने इस मौके पर 2016-18 बैच के वनअधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान बेहतर कार्य के लिए पुरस्कार भी दिए।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के दीक्षांत समारोह के मौके पर उपराष्ट्रपति ने अधिकारियों को कहा कि लगातार वैज्ञानिक उपायों से एकीकृत ईकोसिस्टम को बनाए रखना और उसको मजबूत बनाना जरूरी है। उन्होंने वन सेवा को एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। वन संपदा को बचाने में कई फॉरेस्ट अधिकारियों ने प्राणों का बलिदान तक दिया है। उन्होंने कहा कि वनाधिकारियों को जंगलांे में रहने वाले आदिवासी समुदाय का विशेष रूप से ख्याल रखा जाना चाहिए।  इन लोगों को भी वन रक्षा का प्रशिक्षण  दिया जाए ताकि वे भी विकास में भागीदार बन सकें। इसके साथ ही इंसान और जानवरों के बीच होने वाले संघर्ष को खत्म करने के लिए ठोस उपाय किए जाने की अपील की है। 

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यहां बता दें कि दीक्षांत समारोह में राज्यपाल डाॅक्टर केके पाॅल ने नए वनाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि एक पेशेवर व्यक्ति ही पर्यावरण की समस्याओं को अच्छी तरह से समझ सकता है। राज्यपाल ने कहा कि दून की घाटी को ‘भारतीय वानिकी का पालना’ कहा जा सकता है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के जिसकी पर्यावरण संरक्षण के माॅडल चिपको आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत यही से हुई थी। राज्यपाल ने बदलती प्राकृतिक व्यवस्थाओं के बीच जंगलों के संरक्षण के उपायों पर जोर देने की बात कही है। डाॅक्टर केके पाॅल ने कहा कि वनों की लगातार कटाई की वजह से ग्लोबल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन की समस्या विकराल होती जा रही है। उन्होंने कहा कि जंगलों की रक्षा के लिए ग्रीन एकाउंटिंग की अवधारणा को अपनाना होगा। 

वन अधिकारियों के दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि प्रदेश का ज्यादातर हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है ऐसे में इनकी रक्षा के लिए इन अधिकारियों को तकनीक का सहारा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि वन सम्पदा हमारे जीवन का आधार है। वनों और मानव जीवन की मूल आवश्यकता में सामंजस्य बनाना एक बड़ी चुनौती है। वनों का अधिक से अधिक लाभ भी हो और उनपर कोई संकट न आए, ये देखना हम सबकी जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने ईको सेंसिटिव जोन और जंगलों में लगने वाली आग की घटनाओं को रोकने के लिए नई तकनीक अपनाने पर बल दिया। इसके लिए स्थानीय लोगों में भी जागरूकता फैलाने की अपील की है। वहीं केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री डाॅक्टर हर्षवर्द्धन ने कहा कि वनों और जंगलों की रक्षा के लिए नए उपाय किए जाने के प्रयास किए जाने की जरूरत पर बल दिया है। 

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के निदेशक डाॅक्टर शशि कुमार ने बताया कि वर्तमान 2016-18 व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में 05 उत्तर प्रदेश, 06 बिहार, 03 दिल्ली, 03 पंजाब, 01 पश्चिम बंगाल, 07 राजस्थान, 01 मध्य प्रदेश, 06 तमिलनाडु, 02 झारखंड, 04 महाराष्ट्र, 03 कर्नाटक, 04 आन्ध्र प्रदेश, 02 हरियाणा, 04 तेलंगाना, 02 भूटान के विदेशी प्रशिक्षु अधिकारियों सहित कुल 53 आईएफएस परिवीक्षार्थियों को डिप्लोमा प्रदान किया जा रहा है। इन अधिकारियों में से 18 ने 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करते हुए आॅनर्स डिप्लोमा प्राप्त किया है। बता दें कि इन अधिकारियों को स्पेशल ओवरसीज एक्सपोजर विजिट के तहत फिनलैंड/रूस और स्पेन/इटली की यात्रा कराई गई हैं। 

 

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