देहरादून। उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाने के लिए सरकार की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है। लोगों की स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वाले लैब पर भी सरकार सख्त हो गई है। कैंसर की गलत रिपोर्ट देने पर राज्य उपभोक्ता फोरम ने देहरादून स्थित आहूजा पैथोलॉजी एंड इमेजिंग सेंटर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। बता दें कि लैब की इस रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली में डॉक्टरों ने आॅपरेशन कर एक महिला का बायां ब्रेस्ट निकाल दिया था जबकि ऑपरेशन के बाद हुई जांच में पता चला कि महिला को कैंसर था ही नहीं।
गौरतलब है कि राज्य उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जस्टिस बीएस वर्मा ने इस आहूजा पैथोलॉजी लैब के संचालक पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जस्टिस वर्मा ने जुर्माने के साथ-साथ 29 अप्रैल 2006 से आज तक इस राशि पर 7 प्रतिशत की दर से ब्याज देने के आदेश भी दिए हैं। इसके मुताबिक यह राशि 20 लाख रुपये अधिक बैठ रही है। बता दंे कि गलत रिपोर्ट के चलते किसी पैथोलाॅजी पर कार्रवाई का यह पहला मामला है। हालांकि लैब संचालक डॉ. आलोक आहूजा ने फोरम फैसले पर असहमति जताई है। अब वह इस फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय फोरम में अपील करेंगे।
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ये है मामला
करनपुर निवासी यशोदा गोयल ने वर्ष 2003 में लैब में ब्रेस्ट कैंसर की आशंका के चलते अपनी जांच कराई थी। आरोप है कि लैब ने बायोप्सी कर जो जांच रिपोर्ट दी, उसमें कैंसर की पुष्टि की गई थी। इस रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों ने 9 जून 2003 को ब्रेस्ट को आॅपरेशन के जरिए निकाल दिया। आॅपरेशन के बाद जब हटाए गए अंग की जांच हुई तो पता चला कि कैंसर तो था ही नहीं। जिस सैंपल स्लाइड के आधार पर लैब से कैंसर की जांच की थी, उस स्लाइड की दोबारा जांच में भी कैंसर न होने की पुष्टि हो गई। इसके बाद साल 2006 में गोयल परिवार ने राज्य उपभोक्ता फोरम में लैब के खिलाफ केस दायर किया।