Friday, April 19, 2024

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भूकंप आने की जानकारी अब पहले ही मिलेगी, सायरन की आवाज करेगी सतर्क

अंग्वाल न्यूज डेस्क
भूकंप आने की जानकारी अब पहले ही मिलेगी, सायरन की आवाज करेगी सतर्क

रुड़की। उत्तराखंड के लोगों को भूकंप आने का पता पहले ही चल जाएगा। आईआईटी रुड़की के अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा एक ऐसा सायरन तैयार किया जा रहा है जिसकी आवाज सुनते ही लोगों को पता चल जाएगा कि भूकंप आया है। इसकी आवाज पुलिस या एंबूलेंस की आवाज से बिल्कुल अलग होगी। उत्तराखंड सरकार के आपदा विभाग से आईआईटी रुड़की को सायरन तैयार करने की अनुमति मिल चुकी है।

कुमांऊ में लगेंगे सेंसर

गौरतलब है कि इस तरह के करीब 110 सायरन तैयार किए जाएंगे। अभियांत्रिकी विभाग की तरफ से अर्ली वार्निंग सिस्टम के तहत देहरादून एवं हल्द्वानी में जो सायरन लगाए जाएंगे, उनमें इस विशेष आवाज का इस्तेमाल होगा। आईआईटी की ओर से देहरादून व हल्द्वानी में भूकंप की चेतावनी के लिए 100 से 110 सायरन लगाए जाएंगे जबकि कुमाऊं में अर्ली वार्निंग सिस्टम के तहत सेंसर लगाए जाएंगे।

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सामान्य आवाज से अलग


आपको बता दें कि इस प्रोजेक्ट में काम करने वाली विशेषज्ञों की टीम सायरन के लिए ऐसी आवाज की तलाश में जुट गई है जिसके कान में पड़ते ही लोगों को मालूम पड़ जाएगा कि भूकंप आया है। यह आवाज एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड आदि वाहनों की आवाज से हटकर होगी। अर्ली वार्निंग सिस्टम प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इनवेस्टीगेटर एवं आइआइटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर एमएल शर्मा के अनुसार देहरादून व हल्द्वानी में भूकंप से पूर्व चेतावनी के लिए सायरन लगाए जाएंगे। 

5.5 की तीव्रता पर बजेगा सायरन

यहां यह भी बता दें कि आईआईटी रुड़की की तरफ से चमोली से उत्तरकाशी तक करीब 84 ऐसे सेंसर लगाए जा चुके हैं। इन स्थानों से भूकंप आने की सूचना और आंकड़े संस्थान के आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र में बनी प्रयोगशाला में दर्ज हो रहे हैं। वहीं अगले एक साल में आईआईटी को कुमाऊं में 100 सेंसर लगाने के साथ ही देहरादून व हल्द्वानी में भी 100 से लेकर 110 सायरन लगाने हैं। जो कि 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर होंगे। यह सायरन 5.5 की तीव्रता वाला भूकंप आने पर ही बजेगा। इन्हें एनआइसी और बीएसएनएल के टॉवरों के माध्यम से कनेक्टिविटी दी जाएगी। 

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