प्रधानमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के नाम का जाप करने के संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बेंगलुरु में हुई संगठन की प्रतिनिधि सभा में जो कुछ भी कहा, क्या उसकी इस समय इतनी जरूरत थी? चुनावों की पूर्वसंध्या पर एक ऐसे समय, जब समूचे देश में गुजरात के मुख्यमंत्री के नाम की लहर चल रही है, मोहन भागवत का संघ के प्रतिनिधियों को मोदी-केंद्रित उद्बोधन आश्चर्यचकित करने वाला है। चुनावों को लेकर संघ और भाजपा का जितना भी सामर्थ्य दांव पर लगा है, उसे देखते हुए तो अपेक्षा यही की जा सकती थी कि संघ के कार्यकर्ताओं का मोहन भागवत यही आह्वान करेंगे कि "नमो-नमो" का जाप और भी जोर से करो। संघ प्रमुख के उद्बोधन और उसके बाद दिए जा रहे स्पष्टीकरणों से यही ध्वनि उभरती है कि भागवत भारतीय जनता पार्टी के चुनाव "प्रचार" के साथ तो संघ के कार्यकर्ताओं को जोड़े रखना चाहते हैं, पर "नमो" के "प्रसार" से दूरी बनाना चाहते हैं। पर संघ प्रमुख ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में ज्यादा देरी कर दी है। नरेंद्र मोदी, "नमो" के जाप से काफी आगे पहुंच गए हैं। इस बात में संदेह है कि अपने व्यस्त चुनाव प्रचार कार्यक्रम से समय निकालकर पूर्व प्रचारक मोदी नागपुर पहुंचकर मोहन भागवत से उनके बेंगलुरु उद्बोधन के बाद कोई मार्गदर्शन लेना चाहेंगे।