रांची। आमतौर पर चोरी के मामले में पकड़े जाने पर पुलिस और न्यायालय से सजा का प्रावधान है। ऐसे मामलों में आरोप सिद्ध होने पर जुर्माना या जेल की सजा दी जाी है लेकिन क्या आपको पता है कि झारखंड के तोपचांची इलाके में रहने वाले आदिवासियों का ऐसे मामले में सजा के तौर पर ‘हरिया’ (स्थानीय शराब) देना पड़ता है। बताया जा रहा है कि धनबाद जिले में पड़ने वाले इस इलाके के आदिवासी कभी भी अपने समुदायों में होने वाले ऐसे मामलों के लिए पुलिस के पास नहीं जाते हैं।
गौरतलब है कि इन आदिवासियों का कहना है कि अपराध की प्रकृति के आधार पर ही सजा का ऐलान किया जाता है। आदिवासियों का कहना है कि मामूली चोरी के लिए 3 बोतल हरिया जुर्माने के तौर पर देना पड़ता है वहीं बड़ी चोरी के लिए 5 बोतल हरिया के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। बड़ी बात यह है कि इन लोगों में से कोई भी सजा या जुर्माने का विरोध नहीं करता है।
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यहां बता दें कि अभी हाल ही में इस समुदाय के एक शख्स को चोरी के सिलसिले में 3 मुर्गियां और 2 बोतल हरिया का जुर्माना देना पड़ा था। बताया जा रहा है कि इस इलाके में रहने वाले आदिवासी समुदाय में सालों से यह प्रथा चली आ रही है और कोई भी इसका विरोध नहीं करता है।