पटना । Bihar Assembly Election 2020 - बिहार विधानसभा चुनावों से पहले अपने पद से इस्तीफा देकर नीतीश कुमार की जदयू का सदस्य बनने वाले पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांड को सियासी मैदान पर एक पूर्व हवलदार ने पटखनी दे दी है । असल में पिछले दिनों ही जेडीयू (JDU) में शामिल हुए गुप्तेश्वर पांडे (Gupteshwer pandey) को उम्मीद थी कि उन्हें बक्सर से जदयू का टिकट मिलने जा रहा है , जिसके लिए उन्होंने अपना चुनावी अभियान शुरू भी कर दिया था । उन्होंने खुद को बक्सर का बेटा बताना शुरू भी कर दिया था , लेकिन उनका पहला चुनावी दांव की उल्टा पड़ गया । टिकटों के बंटवारे में सीट भाजपा के हिस्से आई , जिस पर पूर्व हवलदार और किसान नेता परशुराम चतुर्वेदी (parsuram chaturvedi) ने भाजपा से चुनाव लड़ने का अपना दावा ठोक दिया । भाजपा ने बक्सर सीट से उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है । हालांकि अपनी सीट हाथ से जाते देखने के बाद बुधवार रात गुप्तेश्वर पांडे ने बयान दिया कि वह इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने नहीं जा रहे हैं ।
बता दें कि सुशांत सिंह राजपूत केस में अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में आए बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने चुनावों की तारीखों का ऐलान होने से कुछ दिन पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया । हालांकि इस्तीफा देने के साथ ही उन्होंने सियासत में आने के संकेत दे दिए थे । गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार की बक्सर सीट से चुनाव लड़ने का नीतीश से आश्वासन मिलने के बाद अपनी तैयारियां शुरू कर दी थीं ।
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हालांकि यह सीट परंपरागत तौर पर भाजपा की रही है, लेकिन 2015 के चुनाव में राजद ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी । ऐसे में गुप्तेश्वर पांडेय ने बक्सर सीट के लिए अपनी दावेदारी पेश करते हुए अपनी राजनीतिक रणनीति बनानी शुरूकर दी थी । उन्होंने खुद को बक्सर का बेटा और बिहार का सिपाही बताते हुए अपना चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया था , लेकिन अंतिम समय में सीट बंटवारे के दौरान यह सीट जदयू के हिस्से से छटककर भाजपा के पास चली गई।
हालांकि पांडेय ने अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था लेकन समीकरण बदलने पर भाजपा ने पूर्व हवलदार और किसान नेता परशुराम चतुर्वेदी को प्रत्याशी बनाया है ।
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बहरहाल , बक्सर सीट से टिकट नहीं मिलने के बाद अब गुप्तेश्वर पांडेय ने बयान दिया है कि वह इस बार के विधानसभा चुनावों में हिस्सा नहीं लेने जा रहे हैं। उन्होंने अपने संदेश में कहा - अपने अनेक शुभचिंतकों के फोन से परेशान हूं, मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूं । मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा ।हताश निराश होने की कोई बात नहीं है । धीरज रखें, मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है । मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा । कृपया धीरज रखें और मुझे फोन न करे । बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है ।
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विदित हो कि वर्ष 2009 में भी उन्होंने राजनीतिक मैदान में किस्मत आजमाने के लिए वीआरएस ले लिया था । उस समय भी उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज थीं । ऐसी खबरें हैं कि उस दौरान वह बक्सर से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे । उन्हें उम्मीद थी कि भाजपा बक्सर से तत्कालीन सांसद लालमुनि चौबे को दोबारा प्रत्याशी नहीं बनाएगी। भाजपा ने भी उन्हें पूरा आश्वासन दे दिया था लेकिन चौबे के बागी तेवरों को देखते हुए भाजपा को दोबारा लालमुनि चौबे को ही बक्सर से टिकट दे दिया । हालांकि इस्तीफा दे चुके गुप्तेश्वर पांडेय दोबारा से पुलिस सर्विस में वापसी कर गए थे। एक बार फिर से उन्हें इसी बक्सर सीट पर झटका लगा है ।