नई दिल्ली। स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अब बीएड के अलावा ग्रेजुएशन में 50 फीसदी अंक लाने की आनिवार्यता नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय प्रशिक्षण परिषद (एनसीटीई) से कहा है कि वह एक माह के भीतर यह अधिसूचना जारी करे, जिसमें बीएड कोर्स के लिए ग्रेजुएशन में 50 फीसदी अंक लाने की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए। कोर्ट ने यह फैसला यूपी के उन सभी शिक्षामित्रों को ध्यान में रखकर किया है जिन्हें अंक कम होने के कारण नौकरी से हटा दिया गया है। भले ही कोर्ट ने यह फैसला यूपी मामले के सदंर्भ में लिया है लेकिन इसका फायद पूरे देश के युवाओं को मिलेगा। प्रशासन एक महीने के अंदर उनके मामलों पर कानून के अनुसार निर्णय लेगा। न्यायपीठ आर्दश गोयल और यूयू ललित ने उत्तर प्रदेश सरकार समेत केंद्र सरकार को भी यह आदेश दिया है।
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बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनसीटीई की 29 मई 2011 की अधिसूचना को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया था। एनसीटीई ने यह अधिसूचना आरटीई एक्ट 2009 की धारा के तहत जारी किया थी। अधिसूचना में स्कूल में अध्यापक बनने के लिए अन्य योग्यताओं के अलावा ग्रेजुएशन में 50 फीसदी अंक होना अनिवार्य कर दिया गया था। यूपी सरकार ने इस सूचना को आधार बनाते हुए ग्रेजुएशन में 50 फीसदी अंक न लेने वालों शिक्षकों को नौकरी से हटा दिया था।
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