नई दिल्ली। इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटरों के खिलाफ सरकार बड़ी कार्रवाई कर सकती है। छात्रों के अभिभावकों के द्वारा कोचिंग सेंटरों की फीस को लेकर मानव संसाधन मंत्री को लगातार की गई शिकायत के बाद सरकार ने बड़ा फैसला लेने का निर्णय लिया है। सरकार अब जल्द ही इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षा के पैटर्न में बदलाव करने जा रही है। इसके तहत अब स्कूली शिक्षा के दौरान ही इसकी तैयारी करवाने की योजना बनाई जा रही है।
गौरतलब है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की तैयारी करने वाले छात्रों के अभिभावकों का कहना है कि परीक्षा का पैटर्न काफी बदल गया है ऐसे में छात्र खुद से इसकी तैयारी नहीं कर पाते हैं और उन्हें कोचिंग का सहारा लेना पड़ता है। उनका कहना है कि आईआईटी और मेडिकल की परीक्षा की तैयारी 8वीं कक्षा से शुरू कर दी जाती है ऐसे में अभिभावकों के ऊपर कोचिंग सेंटर की फीस का अतिरिक्त बोझ पढ़ता है।
ये भी पढ़ें - बिहार की सियासत में हो सकता है बड़ा उथल-पुथल, नीतीश आज करेंगे पासवान से मुलाकात
यहां गौर करने वाली बात है कि अभिभावकों की लगातार शिकायतों पर गौर करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने परीक्षा के पैटर्न में बदलाव करने का फैसला लिया है। अब स्कूलों में 8वीं से 12वीं कक्षा के दौरान छात्रों को एक्सट्रा क्लासेस और शिक्षकों को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रदेश शिक्षा बोर्ड के सरकारी स्कूलों पर खास फोकस रहेगा, ताकि आम परिवारों के छात्र आगे बढ़ सकें। इसके अलावा आईआईटी प्रबंधन आईआईटी पाल योजना को स्कूलों व शिक्षकों से जोडने का काम करेगा। प्रश्न पत्र में किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान को भी शामिल किया जाएगा। प्रश्न पत्र तैयार करने के दौरान आईआईटी और मेडिकल विशेषज्ञों की टीम के साथ स्कूली शिक्षकों को शामिल किया जाएगा। प्रश्नपत्र में सवाल विषय से संबंधित 12वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम से ही पूछे जाएंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि सरकार को बड़ी मात्रा में अभिभावकों की इस प्रकार की शिकायत मिली है। उनकी शिकायत थी कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रोग्राम में दाखिले के लिए बच्चों को आठवीं कक्षा से ही कोचिंग सेंटर में दाखिला दिलवाना जरूरी हो जाता है, क्योंकि प्रश्नपत्र के आधार पर पढ़ायी कोचिंग सेंटर ही करवा पाते हैं। इसलिए इस पूरी प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी चल रही है।