नई दिल्ली। अगले साल से केंद्रीय विद्यवविद्यालयों मंे अंडर ग्रेजुएट (यूजी) और पीजी प्रोग्राम की पढ़ाई महंगी होने वाली है। केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत केंद्रीय विश्वविद्यालय अपना फंड बढ़ाने के लिए दाखिला और यूजर फीस बढ़ा सकते हैं। बड़ी बात यह है कि जेएनयू, जामिया, एएमयू, हरियाणा, धर्मशाला समेत कई अन्य यूनिवर्सिटी ने केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत समझौते पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।
गौरतलब है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए सरकार ने पहली बार विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी व जवाबदेही तय की है। ऐसे में अब विश्वविद्यालय किसी भी योजना के लिए सरकार से बजट नहीं मांग सकते हैं। उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए फंड भी जुटाना होगा। जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने सबसे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय, यूजीसी के साथ समझौता किया है। इसके अलावा जेएनयू, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला केंद्रीय विश्वविद्यालय, विश्व भारती, हैदराबाद विश्वविद्यालय सरकार के एक्शन प्लान में शामिल हो चुका है।
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यहां बता दें कि विश्वविद्यालयों को हर साल अपने एक्शन प्लान की जानकारी मानव संसाधन मंत्रालय को देनी होगी। इसमें शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने, दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में शामिल होने की तैयारी, फैकल्टी, पाठ्यक्रम, कोर्स डिजाइन, रिसर्च, इनोवेशन व रोजगार के मौके बढ़ाने आदि पर विस्तार से जानकारी देनी होगी। विश्वविद्यालय के एक्शन प्लान के अनुसार ही उन्हें बजट मुहैया कराया जाएगा इसके बाद हर 6 महीने के बाद मंत्रालय को एक्शन प्लान की स्टेट्स रिपोर्ट भी देनी होगी। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि एक्शन प्लान के तहत काम नहीं करने वाले विश्वविद्यालयों के फंड को रोक दिया जाएगा।