नई दिल्ली । सनातन धर्म में मकर संक्रांति का अहम महत्व है । यह वह दिन होता है सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। 14 जनवरी को मनाया जाने वाले इस पर्व को इस बार ज्योतिषियों ने खासा विशेष बताया है । जानकारों के मुताबिक , इस बार मकर संक्रांति के दिन कुछ विशेष योग पर्व को खास बना रहे है , जिसमें कुछ विशेष करने से आपके बुरे दिन दूर हो सकते हैं । कहीं-कहीं इस दिन को 'खिचड़ी' के नाम से जाना जाता है। इस पावन दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। इस दिन काले तिल को विशेष रूप से दान किया जाता है।
'मकर संक्रांति' का शुभ
मुहूर्त मकर संक्रांति : 14 जनवरी 2022
पुण्य काल- 14 जनवरी को दोपहर 02.43 से शाम 05.45 तक
पुण्य काल की कुल अवधि- 03 घंटे 02 मिनट
मकर संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल- 14 जनवरी को दोपहर 02.43 से 04:28 तक
कुल अवधि - 01 घंटा 45 मिनट
ज्योतिषों की मानें तो इस साल मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) पर शुक्रवार और रोहिणी नक्षत्र का खास संयोग बन रहा है । 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन रोहिणी नक्षत्र शाम 8 बजकर 18 मिनट तक रहेगा ।
ऐसे में जब ज्योतिष शास्त्र में रोहिणी नक्षत्र को बेहद शुभ माना जाता हो , इस दिन जातक का स्नान-दान और पूजा करना उनके लिए फलदायक हो सकता है । इतना ही नहीं मकर संक्रांति के दिन आनंदादि और ब्रह्म योग बनने वाला है ।
बता दें कि शुभ काम शुरू करने के लिए ब्रह्म योग बहुत शुभ होता है , जबकि आनंदादि योग हर तरह की सुख-सुविधाओं की प्राप्ति के लिए शुभ है ।
इस शुभ योग में शुरू किए गए किसी कार्य में विघ्न-बाधाएं नहीं आती हैं । इसके अलावा आनंदादि योग कोई भी नया काम शुरू करने के लिए शुभ होता है । ऐसे में आपके द्वारा की गई पूजा पाठ आपके लिए लाभकारी साबित होगा ।
अगर ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान भास्कर यानी कि सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं और चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं इसलिए इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।