Friday, April 19, 2024

बैंज-बाजा-बारात के लिए 2019 में हैं मात्र चुनिंदा मुहूर्त , जानें क्या हैं कारण, किन दिनों में कर सकेंगे बिना मुहूर्त शादी

अंग्वाल न्यूज डेस्क
बैंज-बाजा-बारात के लिए 2019 में हैं मात्र चुनिंदा मुहूर्त , जानें क्या हैं कारण, किन दिनों में कर सकेंगे बिना मुहूर्त शादी

नई दिल्ली । आपके घर -परिवार या दोस्ती -रिश्तेदारी में कोई शादी समारोह का आयोजन होने जा रहा है तो जहा इस खबर पर ध्यान दें । असल में इस माह 19 नवंबर को देव जागरण हो जाएगा। देवोत्थान एकादशी के दिन बिना मुहूर्त निकाले भी विवाह किए जा सकते हैं, लेकिन ऐसे परिवारों के लिए चौंकाने वाली बात ये है कि इसके बाद 5 अप्रैल तक आपको इस शुभ कार्य के लिए ज्यादा मुहूर्त नहीं मिलने जा रहे हैं। असल में 5 अप्रैल तक महज 28 ऐसे शुभ मुहूर्त हैं जिनमें आप शादी जैसे समारोह का आयोजन कर सकते हैं। गुरु के अस्त होने के कारण 10 दिसंबर तक विवाह मुहूर्त नहीं हैं।

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असल में भारतीय विवाह पद्धति के अनुसार दोनों लोगों के बीच विवाह संबंध शुभ बने रहें , इसके लिए शुक्र और गुरु का उदित काल जानकर ही मुहूर्त निकाला जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कन्या का विवाह सम वर्षों में तथा पुत्र का विवाह विषम वर्ष में किया जाए तो स्थाई सुख प्राप्त होता है। 

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इससे इतर विष्णु जागरण, शुक्र जागरण और गुरु जागरण पर अवसर पर ही विवाह का शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। शादियों के लिए शुभ दिनों की शुरुआत  विष्णु के जागृत हो जाने के बाद होता है। लेकिन इस बार गुरु के पश्चिम में अस्त होने के कारण 19 नवंबर देव जागरण के दिन के अलावा 10 दिसंबर तक विवाह मुहूर्त नहीं हैं। 


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विद्वानों की मानें तो मार्गशीर्ष मास में कुल 2 मुहूर्त, माघ में 15 मुहूर्त तथा फाल्गुन में 11 मुहूर्त शेष बचे हैं। इस तरह 5 अप्रैल तक कुल मिलाकर 25 दिन ही ऐसे हैं जिन्में आप अपने घर में शादी जैसे समारोह का आयोजन कर सकते हैं। इसके बाद 12 और 13 दिसंबर को बहुत बड़ा विवाह मुहूर्त है। हालांकि 9 फरवरी यानी बसंत पंचमी के दिन बिन भी आप बिना किसी मुहूर्त के लिए शादी समारोह का आयोजन कर सकते हैं। 

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जानकारों का कहना है कि शादी जैसे समारोह के लिए असल में शुक्र और गुरु का उदय होना नितांत आवश्यक होता है। इनका उदय होना भी तभी मान्य होता है जब विष्णु जागरण हो चुका हो। गृहस्थ का आधार भगवान विष्णु और लक्ष्मी हैं। दामाद को विष्णु स्वरूप तथा पुत्री को लक्ष्मी स्वरूप मानकर विवाह किया जाता है। 

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