क्या आप जानते हैं कि हर वर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। दिवाली पर्व का आरंभ इसी धनतेरस की पूजा और खरीददारी के साथ होता है। पांच दिनों तक चलने वाले इन पर्वों का आरंभ भी इसी तिथी के बाद होता है। पर क्या इस पर्व के महत्व और इससे जुड़ी कुछ रोचक जानकारियों को आप जानते हैं...अगर नहीं तो हम बताते हैं...
धनतेरस की कथा
पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। वेद-पुराणों के अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरी हाथों में स्वर्ण कलश लेकर उत्पन्न हुए थे। इसी कलश में वो अमृत भरा था जिसे पीने से देवता अमर हुए। भगवान धनवंतरी के मंथन से उत्पन्न होने के दो दिनों बाद देवी लक्ष्मी प्रकट हुई। इसी कारण दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस मनाया जाता है। असल में भगवान धनवंतरी को विष्णु का अवतार माना जाता हैं। इसी दिन को धनवंतरी ञयोदशी भी कहते है।जो आयुर्वेद के देवता का जन्मदिवस भी है। यह भी कहा जाता है कि संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था।
आखिर क्या है धनतेरस का महत्व
धनतेरस का दिन हिन्दुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन चाँदी खरीदना बहुत शुभ माना जाता है और कई लोग अपने घरों में नए बर्तन भी लाते हैं। इसे शुभ माना जाता है। इसदिन लक्ष्मीजी व कुबेर के साथ-साथ यमराज की भी पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार यदि इस दिन सही लग्न में पूजा की जाए तो लक्ष्मी जी घर में ही बस जाती है। शास्ञों के अनुसार इस दिन यमराज के नाम का दीपदान करना चाहिए। इससे अकाल मृत्यु नही होती।
जानिए क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 27 अक्टूबर 2016 को शाम 4:15 बजे से होगी। इसका अर्थ है कि इस वर्ष धनतेरस 2 दिन मनाया जाएगा। किन्तु पुजा का सबसे शुभ मुहूर्त 28 अक्टूबर को शाम 5:35 से 6:20 बजे तक है। वहीं इस दिन प्रदोष काल 5:35 से रात 8:11 बजे तक हैं।
आखिर कैसे करें पूजन
शुभ मुहूर्त दीपक जलाकर तिजोरी में कुबेर भगवान की पूजा करें तथा उनसे घर में सदा वास करने की प्रार्थना करें। इस दिन यमराज की पूजा कर उनके नाम का दीपक घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाला दीपक रातभर जलाना चाहिए। कहा जाता है कि दीपक में एक सिक्का भी डाल दें। ऐसा करने से पूजा करने वाले व उसके परिवार को मृत्युदेव यमराज के कोप से सुरक्षा मिलती है।