Wednesday, April 24, 2024

आस्था और प्रार्थना के 5 ऐसे स्थल जिसके रहस्य के बारे में आज तक पता नहीं चला

अंग्वाल न्यूज डेस्क
आस्था और प्रार्थना के 5 ऐसे स्थल जिसके रहस्य के बारे में आज तक पता नहीं चला

हमारे देश में आस्था और श्रद्धा के कई मुकाम हैं जहां दूर-दूर से लोग अपनी मन्नतों को लेकर आते हैं। आस्था के इन स्थानों पर कोई न कोई ऐसी चमत्कारिक चीजें हैं जो लोगों की आस्था को और मजबूत कर देती है। आज हम आपको हिन्दुस्तान के ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके रहस्य के बारे में ज्यादातर लोग अंजान हैं। इनके रहस्यों को सुलझाने में वैज्ञानिकों भी अब तक असफल रहे हैं। 

कामाख्या मंदिरकामाख्या मंदिर भारत के उत्तरपूर्वी राज्य असम में है। इस मंदिर को देश के 52 शक्तिपीठों में से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। पौराणिक मान्यता के आधार पर इस स्थान पर देवी सती की योनि गिरी थी जो बाद में साधना का केन्द्र बना। हालांकि इस मंदिर में देवी सती की कोई मूर्ति नहीं है। आपको बता दें कि यह मंदिर तीन भागों में बंटा हुआ है। पहले हिस्से में पुरुषों को जाने की इजाजत नहीं है। दूसरे हिस्से में लोगों को माता के दर्शन होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां मौजूद एक पत्थर से हमेशा पानी निकलता रहता है। ऐसा भी मानना है कि महीने में एक दिन इस पत्थर से खून की धारा भी निकलती है। ऐसा क्यों होता है इस बात का खुलासा आजतक नहीं हो पाया है। 

ज्वालादेवी मंदिर

आपको पता है कि प्रसिद्ध ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कालीधार पहाड़ी के मध्य स्थित है। यह भी भारत का एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जिसके बारे में मान्यता है कि इस स्थान पर पर माता सती की जीभ गिरी थी। माता सती की जीभ के प्रतीक के रुप में यहां धरती के गर्भ से ज्वालाएं निकलती हैं, जो नौ रंग की होती हैं। इन नौ रंगों की ज्वालाओं को देवी शक्ति का नौ रुप माना जाता है। 

ये देवियां है- महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी।

आज तक किसी को इस बात का पता नहीं चला कि ये ज्वालाएं कहां से प्रकट हो रही हैं? इसका रंग अपने आप कैसे रंग बदलती है? आज भी लोगों को यह पता नहीं चल पाया है यह प्रज्वलित कैसे होती है और यह कब तक जलती रहेगी? हालांकि इतिहास की बात करें तो एक बार मुगल शासक ने इस ज्वाला को बुझाने का प्रयास किया था लेकिन वे इसमें सफल नहीं हो पाए।


करणी देवी का मंदिर

इस मंदिर को चूहों वाली माता का मंदिर, चूहों वाला मंदिर और मूषक मंदिर भी कहा जाता है। आपको यह बता दें कि यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक शहर में स्थित है। इस मंदिर में चूहों का साम्राज्य स्थापित है। इन चूहों में अधिकांश काले है, लेकिन कुछ सफेद भी है, जो काफी दुर्लभ हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस भी श्रद्धालु को सफेद चूहा दिख जाता है उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

काल भैरव का मंदिर

भगवान काल भैरव का यह मंदिर मध्य प्रदेश के शहर उज्जैन में स्थित है।  यहां श्रद्धालु उन्हें प्रसाद के तौर पर केवल शराब ही चढ़ाते हैं। आश्चर्यजनक यह है कि जब शराब का प्याला काल भैरव की प्रतिमा के मुख से लगाया जाता है, तो वह एक पल में खाली हो जाता है। ऐसा क्यों होता है इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं। 

मेंहदीपुर बालाजी मंदिर

राजस्थान के दौसा में मौजूद इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि हनुमानजी के 10 सिद्धपीठों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि यहां हनुमानजी जाग्रत अवस्था में विराजते हैं। जिन व्यक्तियों पर भूत-प्रेत का साया होता है ऐसे लोगों के यहां के प्रेतराज सरकार और कप्तान कोतवाल के मंदिर में आते ही वह जोर-जोर से चिल्लाने लगता है। पल भर में ही बुरी आत्मा पीड़ित के शरीर को छोड़कर बाहर निकल जाती है। ऐसा किस वजह से होता है इस बात का पता तो अब तक किसी को नहीं चल पाया है। इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग यहां अपनी परेशानियों से निजात पाने के लिए आते हैं। इस मंदिर में रात को किसी को भी रुकने की इजाजत नहीं है।  

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