मनुष्य की जन्मकुंडली में काल सर्प योग के कारण जीवन में कई बाधाएं आती हैं। मसलन शादी न होना, संतान में विलंब, विद्या में दिक्कत आना, दांपत्य जीवन में कड़वाहट, मानसिक अशांति, स्वास्थ्य हानि साथ ही धन आभाव इत्यादि। इन सबके निवारण के लिए काल सर्प योग की श्रृद्धा भक्ति के साथ विधिवत पूजा-पाठ कराना आवश्यक है। इस शांति से संपूर्ण फल प्राप्त होता है।
आइये आपको बताते हैं कि पूजा का विधि-विधान---
1-इस दोष की मुक्ति के लिए जातक को अराध्य देव शिव-शंकर का पूजन या महामृत्युंजय का पाठ करवाना चाहिए।
2-श्रावण मास की नागपंचमी, शुक्लपक्ष की अष्ठमी या चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान का शंकर का रुद्राभिषेक करवाएं।
3-इस दौरान ब्राह्मण से परामर्श लेकर अपनी कुंडली के अनुसार (सोना, चांदी, तांबा, लोहा इत्यादि) धातु के नाग-नागिन के जोड़े की पूजा करें और बाद में बहते जल में प्रवाहित करें।
4-शुक्ल पक्ष के किसी भी सोमवार के दिन एक सफेद कपड़ा लें, उसके ऊपर काले तिल और चांदी के नाग-नागिन का जोड़ रखकर अपने घर के मंदिर में रख दें। श्रावण मास में किसी भी दिन काल सर्प योग शांति का पूजा-पाठ करवाएं उस दिन इन्हें पूजा स्थल पर रखें और बाद में बहते जल में प्रभावित कर दें।
5-नाग पंचमी के दिन सापों को दूध पिलाएं।
6-एक साल तक गेहु या उड़द के आटे की सर्प मूर्ति बनाकर पूजन करने के बाद उसे नदि में छोड़ दें।