नई दिल्ली हिन्दू कैलेण्डर के मुताबिक तुलसी विवाह एक महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान है। इस पर्व के मौके पर तुलसी की शादी भगवान विष्णु के साथ की जाती है। भारतीय समाज में इसे देवउठान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद से हिन्दू समाज में शादियों का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस साल यह तारीख एकादशी यानी 11 नवंबर को पड़ रही है। कुछ लोग इसकी पूजा एकादशी के दूसरे दिन कार्तिक शुद्ध द्वादशी के दिन करते हैं। सामान्य तौर पर तुलसी विवाह 14 नवंबर को पुर्णिमा के दिन होता है।
पौराणिक मान्यता
भारतीय कथाओं के मुताबिक तुलसी वृन्दा नाम की एक औरत थी जिसकी शादी असुरों के राजा जलंधर से हुई थी। उसने भगवान विष्णु से प्रार्थना की थी कि उसके पति को कोई पराजित न कर सके। भगवान विष्णु से वरदान मिलने के बाद वृन्दा की वजह से जलंधर को देवता भी पराजित नहीं कर सके थे। ऐसा माना जाता है कि जलंधर जब भी युद्ध में जाता था वृन्दा विष्णु की पूजा मंे लग जाती थी। धीरे-धीरे उसका आतंक बढ़ता गया। एक बार जब जलंधर युद्ध में गया था तो भगवान विष्णु ने उसका वेश धारणकर वृन्दा के सामने पहुंच गए। अपने स्वामी को सामने देखकर उसने प्रार्थना बंद कर दी। बाद में जब उसे इस धोखे का पता चला तो वृन्दा ने भगवान विष्णु को शाप देकर काले पत्थर (शालीग्राम) में तब्दील कर दिया और खुद जलंधर के साथ सती हो गई। वृन्दा की श्रद्धा को देखकर भगवान विष्णु ने उसकी आत्मा को तुलसी में समाहित कर दिया और अगले जन्म में उसका पति बनने का भी आशीर्वाद दिया। उस समय से चली आ रही प्रथा आज भी निभाई जा रही है।
एकादशी तिथि की शुरुआत- 10.11.2016़- 11.21 बजे
एकादशी तिथि की समाप्ति- 11.11.2016- 09.12 बजे
देवउठान एकादशी का वैकल्पिक वक्त 12.11.2016