पटना । बिहार की राजनीति में बुधवार शाम 6 बजे आया एक भूचाल गुरुवार सुबह 10 बजे तक थम भी गया। हालांकि 16 घंटें के इस भूचाल में जहां कुछ सियासी किले ढह गए, वहीं कुछ नए किलों का निर्माण भी हो गया। बुधवार शाम तक बिहार में जदयू-राजद और कांग्रेस के महागठबंधन की सरकार थी, तो गुरुवार सुबह बिहार में एनडीए की सरकार बन गई। हालांकि सत्ता के केंद्र में रहे सीएम नीतीश कुमार तो इस भूचाल में टिके रहे लेकिन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की जगह बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने ले ली। इस सियासी भूचाल के बाद आरोप-प्रत्यारोपों का दौर जारी है, लेकिन उन सब के बीच कल रात इस्तीफा देकर आज सुबह फिर मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले सुशासन बाबू नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के विकास के लिए हमें कुछ ऐसा ही करने की जरूरत थी।
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नीतीश पर धोखेबाज के लगाए आरोप
भले ही नीतीश कुमार ने महागठबंधन का हाथ छोड़कर भाजपा का कमल थामते हुए सूबे में एनडीए की सरकार बनाई हो लेकिन उनके इस निर्णय पर उनके महागठबंधन के साथी उन्हें धोखेबाज करार दे रहे हैं। पहले लालू प्रसाद यादव ने नीतीश को धोखेबाज करार देते हुए बिहार की जनता के साथ छल करने की बात कही। वहीं कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सुशासन बाबू के फैसले पर इस स्वार्थ की राजनीति करार दिया। राहुल गांधी ने कहा कि नीतीश कुमार ने बिहार की जनता के साथ ही महागठबंधन के साथ धोखा किया है। ये लोग सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं।
नीतीश बोले-समय पर सबको जवाब दूंगा
हालांकि कभी सियासी सफर के साथी रहे राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव द्वारा धोखेबाज कहे जाने पर नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में जो मौजूदा हालात थे उसमें उन लोगों के साथ काम करना मुश्किल हो गया था। बाकि जो लोग मुझ पर आरोप लगा रहे हैं समय आने पर उन्हें सही जवाब दूंगा। हालांकि इससे पहले बुधवार देर रात उन्होंने कहा कि जब कोई रास्ता नहीं छोड़ा तो हमने अपनी राह बदल ली।
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बता दें कि बुधवार शाम सीएम आवास पर विधानमंडल दल की बैठक के बीच में ही नीतीश कुमार उठे और अकेले राजभवन जाकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इस्तीफे के बाद नीतीश ने कहा कि 20 महीने से भी ज्यादा समय से सरकार चलाया लेकिन मौजूदा हालात में काम करना मुश्किल हो रहा है। नीतीश बोले, गलत तरीके से संपत्ति अर्जित किए जाने का मैंने विरोध किया है। हमेशा यह कहता रहा कि कफन में जेब नहीं होती। हमें लगा कि साथ रह रहे लोगों की सोच का दायरा अलग है। डिस्कोर्स ही बदल गया है। न कोई साझी नीति है और न ही एजेंडा है। सिर्फ रिएक्टिव एजेंडा से काम नहीं चलेगा। इसलिए मैंने सोचा कि मेरे जैसे व्यक्ति के लिए सरकार चलाना संभव नहीं है।
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नीतीश कुमार ने कहा कि मैंने तेजस्वी से इस्तीफा नहीं मांगा था, लेकिन बेनामी संपत्ति के मामले में नाम उजागर होने पर मैंने सफाई देने को कहा था। वे लोग जिद पर अड़े रहे। पिछले पंद्रह दिनों में मैंने अपने स्तर से पूरा प्रयास किया कि कोई रास्ता निकले पर यह नहीं हुआ। मेरी प्रतिबद्धता बिहार के लोगों के साथ है।