नई दिल्ली । पिछले कुछ समय से विवादों में रहने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बार फिर से अपनी एक नई एडवायजरी जारी की है । इसके तहत दुनिया भर में देर तक काम करने की आदत के चलते हर साल हज़ारों लोगों की मौत हो रही है । कोरोना महामारी के इस दौर में ऐसे लोगों के मरने का आंकड़ा और बढ़ गया है । करीब 194 देशों के लोगों के आंकड़ों पर आधारित इस अध्ययन में कई खुलासे हुए । सामने आया कि साल 2016 में ज्यादा देर तक काम करने वालों 745,000 लोगों की जान दिल की बीमारी से गई । जब इन आंकड़ों की तुलना वर्ष 2000 के आंकड़ों के की गई तो कोरोना काल में ऐसे लोगों की मौत का आंकड़ा पूर्व की तुलना में 30 फीसदी ज्यादा पाया गया ।
WHO और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के एक अध्ययन से पता चला है कि ज्यादातर पीड़ित (72%) पुरुष थे और मध्यम आयु वर्ग या उससे अधिक उम्र के थे । अध्ययन के मुताबिक कई बार ऐसे लोगों की मौत 10 साल बाद भी होती है । WHO के पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग की निदेशक मारिया नीरा ने कहा, 'हर हफ्ते 55 घंटे या उससे अधिक काम करना एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है । हम ये जानकारी श्रमिकों की अधिक सुरक्षा देने के लिए कर रहे हैं ।'
दुनिया के 194 देशों के लोगों के आंकड़ों पर आधारित इस अध्ययन के मुताबिक सप्ताह में 55 घंटे या उससे अधिक काम करने से स्ट्रोक का 35% अधिक जोखिम और 35-40 घंटे की तुलना में हृदय रोग से मरने का 17% अधिक जोखिम होता है । यह अध्ययन 2000-2016 के दौरान किया गया है । लिहाजा इसमें कोरोना से प्रभावित लोगों के आंकड़े नहीं है ।