नई दिल्ली। आज की इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में इंसान अपने काम में इतना व्यस्त हो गया है कि उसे अपनी सेहत पर ध्यान देने का भी समय नहीं मिल रहा है। ऐसे मंे शरीर में या फिर सिर में हल्का दर्द होने पर भी हम फौरन दर्द निवारक (पेनकिलर) दवाएं खा लेते हैं। क्या आपको पता है कि ये दर्द निवारक दवाएं आपके लिए कितनी खतरनाक साबित हो सकती हैं? इससे आपकी जान भी जा सकती है, आइए इसके बारे में हम आपको बता रहे हैं कि किन दवाओं का इस्तेमाल करने से पहले कई बार सोच लेना चाहिए।
गौरतलब है कि ब्रिटिश जर्नल में छपे शोध के अनुसार पेनकिलर के इस्तेमाल से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। बता दें कि डेनमार्क की आरहुस यूनिवर्सिटी में लाखों लोगों के ऊपर किए गए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि दर्द निवारक दवाओं के लेने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और धमनियों और कोशिकाओं पर दवाब बढ़ जाता है जिससे उसके फटने की संभावना बढ़ जाती है।
शोध में पता चला कि पैरासिटामॉल, आइबुब्रूफेन और डाइक्लोफेनैक सहित अन्य दर्द निवारक दवाओं के दुष्प्रभाव आंके। उन्होंने पाया कि स्टेरॉयड रहित ये दवाएं शरीर से पानी और सोडियम निकालने के लिए किडनी की रफ्तार को धीमी कर देती हैं। इससे रक्त प्रवाह तेज हो जाता है। साथ ही अंगों को खून पहुंचाने में ज्यादा दबाव पड़ने के कारण धमनियों के फटने और व्यक्ति के हार्ट अटैक व स्ट्रोक का शिकार होने का खतरा रहता है।
अध्ययन में यह भी देखा गया कि दर्द निवारक दवाएं ब्लड प्रेशर घटाने में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को बेअसर बनाती हैं। मुख्य शोधकर्ता मॉर्टन शिमित के मुताबिक दर्द निवारक दवाएं दिल की धड़कन को अनियंत्रित करती हैं। इससे व्यक्ति को बेचैनी, घबराहट, सीने में दर्द और पसीना आने की शिकायत हो सकती है। उन्होंने सभी देशों की सरकारों से ऐसा सख्त कानून बनाने की मांग की, जिसके तहत बिना डॉक्टर के पर्चे के दवा की दुकानों पर पेनकिलर की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध हो।
खतरा
-पैरासिटामॉल, आइबुब्रूफेन और डाइक्लोफेनैक से लैस दवाएं किडनी की क्रिया प्रभावित करती हैं
-शरीर में पानी-सोडियम का स्तर बढ़ने से रक्त प्रवाह तेज होता है, नस फंटने की रहती है आशंका
-ब्लड प्रेशर घटाने में इस्तेमाल होने वाली विभिन्न दवाओं को भी बेअसर बनाती हैं दर्द निवारक गोलियां