नई दिल्ली। स्मार्टफोन आज हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। हमारा ज्यादातर वक्त उसके साथ ही बीतता है अगर हाथ में मोबाइल न हो तो ऐसा लगता है जैसे कुछ जिंदगी की रफ्तार थम सी गई है। क्या आपको पता है कि देर रात तक मोबाइल पर चैटिंग करना, गेम खेलना या अन्य कोई काम करना और टीवी देखना आपके तनाव में इजाफा करता है। आइए हम आपको बता रहे हैं कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल किस तरह से आपके लिए खतरनाक हो सकता है।
गौरतलब है कि ब्रिटेन की ग्लासगो यूनिवर्सिटी में करीब 91 हजार लोगों पर किए गए एक शोध में इस बात का पता चला है कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। स्मार्टफोन, टैबलेट, कंप्यूटर, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन से निकलने वाली कृत्रिम रोशनी शरीर की जैविक घड़ी (बॉडी क्लॉक) को प्रभावित करती है। इससे मस्तिष्क को रात में भी दिन होने का भ्रामक संदेश जाता है। वह व्यक्ति को अलर्ट रखने के लिए स्लीप हार्मोन ‘मेलाटोनिन’ का उत्पादन धीमा कर देता है, जिससे उसे सोने में परेशानी होती है।
ये भी पढ़ें - शरीर की गंध से होगी मलेरिया की पहचान, खून देने की नहीं होगी जरूरत
बता दें कि शोध में बताया गया कि अच्छी नींद न सिर्फ आपको तरोताजा रखती है बल्कि यह आपकी याददाश्त को भी दुरुस्त रखता है लेकिन देर रात तक मोबाइल का इस्तेमाल करते रहने से सुबह आपको चिड़चिड़ापन महसूस होता है। अध्ययन के दौरान स्मिथ और उनके साथियों ने ब्रिटेन के 37 बायोबैंक से प्राप्त 91 हजार लोगों के चिकित्सकीय रिकॉर्ड का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि जो लोग दिन में सुस्त और रात में सक्रिय रहते थे, उनमें अनिद्रा, चिड़चिड़ेपन, अकेलेपन और बेबसी के भाव की शिकायत ज्यादा थी। ये सभी डिप्रेशन के लक्षण माने जाते हैं। अध्ययन के नतीजे ‘द लैंसेट साइकैटरी जर्नल’ के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।
-स्मार्टफोन से निकलने वाली कृत्रिम रोशनी बॉडी क्लॉक को प्रभावित करती है
-स्लीप हार्मोन ‘मेलाटोनिन’ का उत्पादन धीमा पड़ने से सोने में दिक्कत होती है
-मन में उदासी-लाचारी का भाव पनपने से व्यक्ति डिप्रेशन की जद में आ जाता है
‘बॉडी क्लॉक’ बिगड़ना घातक
-बॉडी क्लॉक न सिर्फ शरीर का तापमान, बल्कि खानपान और सोने की आदतें भी नियंत्रित करती है
-यह मोटापे का खतरा घटाने के साथ ही रक्तचाप-कोलेस्ट्रॉल का स्तर काबू में रखने के लिए अहम है
-विभिन्न शोध में बॉडी क्लॉक बिगड़ने को कैंसर-हृदयरोग का खतरा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार पाया गया है