नई दिल्ली । बॉलीवुड के बिग बी और फिल्म इंडस्ट्री के शहंशाह अमिताभ बच्चन जल्द ही 78 साल के होने वाले हैं । उनके जन्मदिन से पहले ही उनके प्रशंसकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया है । सोशल मीडिया पर भी उनसे जुड़ी कई कहानियां ट्रोल करने लगी है । इस बीच हम आपको उनसे जीवन से जुड़ी वह सच्चाई बताने जा रहे हैं , जहां से शुरुआत करने के बाद आज वह फिल्म इंडस्ट्री के शहंशाह तक का सफर तय कर चुके हैं । असल में हम आपको बताएंगे कि आखिर उनकी इस इंडस्ट्री में एंट्री कैसे हुई ।
ये तो अमूमन अमिताभ बच्चन के प्रशंसकों को पता ही है कि उनकी पहली फिल्म वर्ष 1969 में आई फिल्म 'सात हिंदुस्तानी (Saat Hindustani)' थी। लोगों को यह भी पता है कि उनकी आवाज की जहां आज पूरी दुनिया दिवानी है , एक समय उनकी आवाज के चलते ही उन्हें काम नहीं मिला था ।
बहरहाल , उन्हें उनकी पहली फिल्म यानी सात हिंदुस्तानी में काम कैसे मिला । तो चलिए हम बताते हैं कि आखिर वह कौन शख्स था , जिसने उनके फिल्मी करियर की शुरुआत में उन्हें पहला मौका दिलवाने में अहम भूमिका निभाई । असल में उन्हें पहली फिल्म मिलने का किस्सा भी काफी मजेदार है । अमिताभ बच्चन उस वक्त कोलकाता में थे, जब उनके भाई अजिताभ ने उन्हें तुरंत मुंबई आने के लिए कहा । जब अमिताभ लौटे तो उन्होंने बिग बी को ख्वाजा अहमद अब्बास से मिलने को कहा । इस पर वह उनसे मिलने पहुंच गया । इस दौरान अब्बास से बात शुरू हुई तो उन्होंने पूछा कि 'क्या तुम हरिवंश राय बच्चन के बेटे हो, क्या तुम घर से भागकर यहां आए हो'? अमिताभ ने बताया कि पिताजी को मालूम है मैं भाग कर नहीं आया । अब्बास को फिर भी यकीन नहीं हुआ तो उन्होंने हरिवंश राय बच्चन को चिट्ठी लिखकर पूछा कि आपका बेटा फिल्मों में काम करना चाहता है, क्या आप इससे सहमत हैं?
इस पत्र के जवाब में हरिवंश राय (Harivansh Rai Bachchan) ने लिखा-'अगर आपको लगता है कि उसमें टैलेंट है तो मेरी आज्ञा है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि उसमें कोई योग्यता है, आप उसे वापस भेज दीजिए।'
पिता की अनुमति मिलने के बाद ख्वाजा अहमद अब्बास ने अमिताभ (Amitabh Bachchan) को फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' में रोल दे दिया । इस फिल्म उनके करियर की पहली फिल्म तो थी लेकिन इसमें अमिताभ कोई ऐसी छाप नहीं छोड़ पाए कि वहां से उनका करियर उठ खड़ा होता । लेकिन उनके कई गुणों को समय रहते उन्होंने बखूबी निखारा ।
आज वहीं अमिताभ बच्चन है , जिनका किसी फिल्म में होना , उस फिल्म कि सफलता का सार्टिफिकेट माना जाता है । अमिताभ ने अपने करियर की सेकेंड इनिंग में भी उतनी ही शोहरत इज्जत पाई , जो उन्होंने अपने जवानी के दिनों में पाई थी ।