मुंबई । बॉलीवुड की चकाचौंध जितनी तेज नजर आती है , इसके रुपहले पर्दे के पीछे अंधेरा भी उतना ही घना है । बॉलीवुड में एक जमाने के दिग्गज कलाकार और सुपरस्टार अभिनेता अभिनेत्रियों को इस फिल्मी दुनिया के लोगों ने इस कदर भुलाया कि कई को अपना अंतिम समय बहुत गुरबत के साथ बिताना पड़ा । हाल में चर्चा हो रही है गीतकार संतोष आनंद की । आप भले ही उन्हें नाम से न याद कर पा रहे हों , लेकिन ....मैं न भूलूंगा , इक प्यार का नगमा है.....मेघा रे मेघा रे, मत परदेश जा रे....जिंदगी की न टूटे लड़ी, प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी....जैसे सुपरहिट गीतों को लिखने वाले संतोष आनंद अपने बेटे की सुसाइड के बाद से गुमनामी के साथ ही बदहाली का जीवन जीने को मजबूर हैं । हाल में म्यूजिकल शो इंडियन आइडल पर वह संगीतरकार प्यारेलाल के साथ नजर आए , जहां उनकी कहानी सुनकर सबकी आंख छलक गई । ऐसे में जहां नेहा कक्कड़ ने उन्हें आर्थिक मदद की , वहीं विशाल डडलानी ने उनके लिखे गानों को संगीत देने और उन्हें मदद करने का भरोसा दिया ।
1972 में पाई कामयाबी
बता दें कि यूपी के बुलंदशहर के सिकंदराबाद में पैदा हुए संतोष आनंद ने बॉलीवुड में अपनी पहली कामयाबी चखी वर्ष 1972 में जब उनका फिल्म शोर में गीत...एक प्यार का नगमा है....सुपरहिट हो गया । इस गाने को मुकेश और लता मंगेशकर ने स्वर दिए थे और संगीत लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल का था । इस गीत के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
बेटे की मौत से टूट गए
ऐसा कहा जाता है कि संतोष आनंद को काफी मुरादों के बाद 10 साल बाद बेटा हुआ था । उन्होंने उसका नाम संकल्प रखा । अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद संकल्प गृह मंत्रालय के आईएएस अधिकारियों को सोशियोलॉजी और क्रिमिनोलॉजी पढ़ाते थे । हालांकि कहा जाता है कि ऑफिस की कुछ उलझनों के चलते संकल्प काफी दबाव में और परेशानियों में रहने लगे । एक दिन उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मथुरा के कौंसीकलां इलाके में ट्रेन के आगे आकर खुदकुशी कर ली । हालांकि खुदकुशी से पहले उन्होंने एक 10 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा था , जिसमें कई बड़े आला अधिकारियों के घपले और इस सबके चलते ही शुदकुशी करने की बात लिखी थी ।
इन गानों पर झूमे संगीतप्रेमी
81 वर्षीय संतोष आनंद भले ही आज अपनी आर्थिक और शारीरिक हालात के चलते लाचार हों, लेकिन एक समय था , जब उनके एक एक गीत के लिए फिल्मकार तरसते थे । मसलन
...मुब्बत है क्या चीज हमको बताओ, ये किसने शुरू की हमें भी बताओ (फिल्म - प्रेमरोग)
...मैं न भूलूंगा ..मैं ना भूलूंगी , इन कसमों को इन रस्मों को
...और नहीं बस और नहीं....(फिल्म - रोटी कपड़ा और मकान)
...एक प्यार का नगमा है , मौजों की रवानी है (फिल्म -शोर)
...मेघा रे मेघा रे मत परदेश जा रे (प्यासा सावन)
...तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है ( प्यासा सावन)
संतोष आनंद ने कुल 26 फिल्मों में 109 गाने लिखे हैं. इनके गीतों को लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर, मोहम्मद अजीज, कुमार शानू और कविता कृष्णमूर्ति जैसे प्लेबैक सिंगर्स ने आवाज दी हैं । शोमैन राजकपूर और अभिनेता मनोज कुमार की अनेक फिल्मों में इन्होने गाने लिखे ।
संतोष आनंदर ने अपने करियर में निम्न फिल्मों के गीत लिखे हैं.
पूरब और पश्चिम (1971)
शोर (1972)
रोटी कपडा और मकान (1974)
पत्थर से टक्कर (1980)
क्रांति (1981)
प्यासा सावन (1981)
गोपीचंद सावन (1982)
प्रेम रोग (1982)
ज़ख़्मी शेर (1984)
मेरा जवाब (1985)
पत्थर दिल (1985)
लव 86 (1986)
मजलूम (1986)
बड़े घर की बेटी(1989)
नाग नागिन (1989)
संतोष (1989)
सूर्या (1989)
दो मतवाले (1991)
नाग मणि (1991)
रणभूमि (1991)
जूनून (1992)
संगीत (1992)
तहलका (1992)
तिरुंगा (1993)
संगम हो के रहेगा (1994)
प्रेम अगन (1998)
ये मिले पुरस्कार
- यश भारती 2016
- फिल्मफेयर पुरस्कार (1974) फिल्म- रोटी कपडा और मकान, गीत का नाम- मैं ना भूलूँगा
- फिल्मफेयर अवॉर्ड (1983) फिल्म- प्रेम रोग, गीत नाम- मुहब्बत है क्या चीज
इंडियन आइडल के शो में आएंगे नजर
बहरहाल , इस पूरे घटनाक्रम के बाद वह इंडियन आइडल शो में संगीतकार प्यारेलाल के साथ आए । यहां उनके बारे में काफी बातें हुई । उनकी स्थिति को देखते हुए नेहा कक्कड़ ने उन्हें 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी , जबकि विशाल डडलानी ने उनके लिखे गानों को फिर से चमाकाने का वादा किया ।