न्यूज डेस्क । भारत और चीन के बीच पिछले कुछ सालों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी)को लेकर जारी गतिरोध थमता नजर नहीं आ रहा है । दोनों देश एलएसी पर अपनी सेनाएं फिर से बढ़ा रही हैं । इस बीच अमेरिकी इंटेलिजेंस कम्युनिटी के वार्षिक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख हुआ है कि भारत और चीन में बीच संघर्ष बढ़ रहा है , जो युद्ध में भी तब्दील हो सकता है । इस स्थिति से अमेरिकी व्यक्तियों और हितों के लिए सीधा खतरा पैदा हो सकता है और अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग भी की जा सकती है । .
क्या कहा है कि US इंटेलिजेंस रिपोर्ट में
अमेरिकी इंटेलिजेंस कम्युनिटी के वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक - साल 2020 में भारत और चीन में हुए ‘घातक संघर्ष’ के बाद से हालात बहुत तनावपूर्ण बने हुए हैं । द्विपक्षीय सीमा वार्ता के बावजूद दोनों ओर से गतिरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है । हालांकि कुछ मुद्दों पर सहमति तो बनी है , लेकिन यूएस इंटेलिजेंस रिपोर्ट के अनुसार , दोनों ओर से जारी गतिरोध कभी भी बड़ी कार्रवाई में तब्दील हो सकती है ।
30 महीनों से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध
बता दें कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख पर 30 महीने से ज्यादा समय से गतिरोध बना हुआ है । पैंगोंग झील इलाके में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच गतिरोध पैदा हो गया था । चीन ने भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमले करने के लिए पत्थरों, नुकीली छड़ों, लोहे की छड़ों और एक प्रकार की लाठी ‘क्लब’ का इस्तेमाल किया था । भारतीय सैनिकों ने जून 2020 में गलवान (लद्दाख) में एलएसी पर भारतीय सीमा की ओर चीन द्वारा एक चौकी स्थापित करने का विरोध किया था । इन झड़पों में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन ने अपने चार सैनिकों के मारे जाने की बात स्वीकार की थी ।
भारतीय जवानों के पास न हो चीनी मोबाइल
बता दें कि खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में एक एडवाइजरी जारी की थी ताकि इस बात को पुष्ट किया जा सके कि भारतीय सैनिक चीनी मोबाइल फोन का इस्तेमाल न कर रहे हों । इस दौरान खुफिया एजेंसी ने सलाह दी है कि सैन्य कर्मी और उनके परिवार चीन में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतें और जल्द-से-जल्द उसकी जगह किसी अन्य कंपनी का मोबाइल उपयोग करना शुरू करें। इन लोगों को अपने फोन बदलने के लिए कहा गया है ।