मुंबई । अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को आखिर बॉम्बे हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है । सोमवार को कोर्ट ने नवनीत राणा और रवि राणा के ख़िलाफ दर्ज दूसरी FIR को रद्द करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है । कोर्ट ने दोनों एफआईआर को एकसाथ करने से भी मना करते हुए कहा कि दोनों घटनाएं अलग-अलग हैं, इसलिए दो अलग अलग एफआईआर दर्ज हुए है । पुलिस ने दंपत्ति के खिलाफ दूसरी FIR IPC की धारा 353 के तहत दर्ज की है , जिसमें सरकारी कामकाज में अड़चन डालने के आरोप लगाए गए हैं ।
कोर्ट में हुई जमकर बहस
राणा दंपत्ति के अधिकक्ता रिजवान मर्चेंट सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे , जहां इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में उनकी सरकारी वकील प्रदीप घरत के साथ लंबी बहस हुई । बचाव पक्ष के वकील रिजवान ने राणा दंपत्ति की गिरफ्तारी का पूरा किस्सा कोर्ट को बताया । उन्होंने बताया कि दोनों को 22 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया । उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और इसके बाद रात दो बजे एक अन्य मुकदमा दर्ज किया । उन्होंने कोर्ट में कहा कि इस दूसरी एफआईआर की धाराओं को आखिर क्यों पहली एफआईआर में ही क्यों नहीं जोड़ा गया । उन्होंने सबके पीछे पुलिस की सुनियोजित साजिश बताया ।
कोर्ट ने कहा दोनों घटनाएं अलग अलग
उनकी इन बातों पर कोर्ट ने कहा कि दोनों घटनाएं अलग-अलग लग रही हैं. इस वजह से दोनों FIR अलग-अलग हो सकती हैं । इस पर बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि इस दूसरी एफआईआर से अब आशंका यह भी बन रही है कि अगर राणा दंपत्ति को पहले मामले में जमानत मिलती है तो पुलिस उन्हें दूसरे मामले में गिरफ्तार कर सकती है ।
सरकारी वकील बोले - जांच का विषय है
वहीं सरकारी वकील प्रदीप घरात ने कहा कि दोनों ही घटनाएं अलग-अलग हैं। इसमें जहां पहले मामले में हनुमान चालीसा पढ़ने के नाम पर दो समुदायों के बीच मन-मुटाव लाना, लॉ एंड ऑर्डर को बिगाड़ना । दूसरा सरकारी कर्मचारी के काम बाधा डालना । ये पूरी तरह से अलग मामला है और जांच का विषय है । उन्होंने कहा कि जब पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई की तो नवनीत ने पुलिस को सहयोग नहीं दिया । वह शोरगुल करने लगी । वह पुलिस वालों को धमका रही थीं। उन्होंने धक्का मुक्की भी की । इस वजह से पुलिस ने 353 की धारा लगाकर दूसरी FIR दर्ज की ।
इस पर कोर्ट ने कहा कि दूसरी एफआईआर से साफ होता है कि राणा दंपत्ति ने पुलिस के काम में सहयोग नहीं किया । इन लोगों को पुलिस का सहयोग करना चाहिए था । लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।