नई दिल्ली । पंजाब कांग्रेस में जारी घमासान थमने के बजाए और भड़कता नजर आ रहा है । पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह कुछ ऐसे ही तेवरों के साथ मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात करने पहुंचे । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार , इस दौरान अमरिंदर सिंह अपने हाथ में अपना इस्तीफा लेकर गए थे। वह काफी आक्रामक अंदाज में नजर आ रहे थे और आर पार की लड़ाई के इरादे से गए थे । डेढ़ घंटे तक चली इस बैठक के बाद उन्होंने मीडिया से ज्यादा बात नहीं की , हालांकि बाहर निकलने पर उनके तेवर थोड़े नरम दिखाई दिए ।
मिली जानकारी के अनुसार , पूर्व में पंजाब संकट को निपटाने के लिए सोनिया गांधी द्वारा बनाई गई तीन सदस्यी कमेटी के सामने पेश होकर अपनी बात रखने के दौरान भी अमरिंदर सिंह काफी आक्रामर नजर आए थे । उस दौरान भी वह दो दिन दिल्ली में रहे , मलिल्कार्जुन खड़के की अध्यक्षता वाली समिति के सामने अपने बात रखी , लेकिन पार्टी आलाकमान से मिलने नहीं गए । सोनिया - राहुल से मिले बिना ही वह पंजाब वापस लौट गए थे ।
हालांकि उनका विरोधी खेमा यानी नवजोत सिंह सिद्धू प्रियंका - राहुल गांधी से मुलाकात करने की बातें करता रहा । बाद में सिद्धू ने तो प्रियंका से मुलाकात की , लेकिन अमरिंदर अपने तल्ख तेवरों के चलते सिद्धू का विरोध करते रहे ।
बहरहाल , एक बार फिर वह दिल्ली आए और इस बार पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले । सोनिया गांधी के साथ हुई लंबी बातचीत में कैप्टन अमरिंदर सिंह को संकेत दिए गए हैं कि पंजाब में अगले विधानसभा चुनाव तक पार्टी उनके साथ ही खड़ी नजर आएगी। सूत्रों ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री कैबिनेट में बदलाव करने के भी इच्छुक हैं। वह मंत्रिमंडल में बदलाव को लेकर एक सूची साथ ले गए थे।
कैप्टन के सोनिया गांधी से मुलाकात के लिए उनके साथ दिल्ली आए अमृतसर से दलित नेता व विधायक डा. राजकुमार वेरका ने मीडिया से बात करते हुए संकेत दिए कि कैबिनेट में बड़ा बदलाव हो सकता है। उन्होंने पार्टी के संगठन में भी बड़े बदलाव के संकेत दिए, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बैठक के बाद मीडिया के साथ बातचीत में इसे लेकर कुछ नहीं कहा।
कैप्टन ने केवल इतना कहा कि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी जो भी फैसला करेंगी वह उन्हें मंजूर होगा। हालांकि कैप्टन जिस तरह कांग्रेस के हिंदू नेताओं को अपने साथ लेकर गए थे उसे देखकर जानकारों की ओर से यही अनुमान लगाया गया कि मुख्यमंत्री किसी भी सूरत में नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनते नहीं देखना चाहते हैं। ऐसी खबर है कि इस सूची में माझा क्षेत्र के कुछ मंत्रियों के पर कतरने की तैयारी थी। माझा से ही कांग्रेस सरकार में सबसे ज्यादा मंत्री हैं जिनमें सुखविंदर सिंह सरकारिया, ओपी सोनी, सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा और अरुणा चौधरी के नाम शामिल हैं। ये पांचों मंत्री केवल दो जिलों अमृतसर व गुरदासपुर से संबंध रखते हैं और किसी समय कैप्टन अमरिंदर सिंह के खास रहे हैं, लेकन अब उनका विरोध कर रहे हैं। बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू को भी माझा के कोटे से ही मंत्री बनाया गया था लेकिन उनके इस्तीफा देने के बाद से एक मंत्री पद खाली पड़ा है।
बहरहाल , अभी तक यह मामला सुलझा नहीं है , क्योंकिन नवजोत सिंह खेमा भी अब मजबूत होता दिख रहा है , वहीं उनके पक्ष में प्रियंका गांधी खड़ी नजर आ रही हैं । वहीं सिद्धू ने भी कैप्टन से नाराज विधायकों की एक सूची तैयार कर ली है। इस सबके बीच अब पार्टी आलाकमान के सामने पशोपेश की स्थिति पैदा हो गई है कि किस गुट का समर्थन करे और किसे छोड़े , या कैसे दोनों के बीच जारी गतिरोध को खत्म किया जाए ।