नई दिल्ली । Delhi High Court On Agnipath Scheme । मोदी सरकार की पिछले साल सामने आई अग्निपथ स्कीम को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है । इस दौरान कोर्ट ने कहा इस स्कीम को लाने का मकसद हमारी सेनाओं को बेहतर तरीके से तैयार करने का है और ये देश हित में है । वहीं, जो लोग पुरानी नीति के आधार पर ही नियुक्ति की मांग कर रहे थे कोर्ट ने उनकी मांग को भी ये कहते हुए खारिज किया कि मांग जायज नहीं है ।
बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लाई गई अग्नीपथ स्कीम को देश के अलग अलग स्थानों पर चुनौती दी गई थी । इससे संबंधित सभी याचिकाओं को सोमवार दिल्ली हाईकोर्ट ने खाजिर कर दिया है । हालांकि यह मामला पहले सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था , जहां से कोर्ट ने देश भऱ के सभी मामलों की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर की थी ।
आज दिल्ली हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा (Justice Satish Chandra Sharma) और सुब्रमण्यम प्रसाद (Subramaniam Prasad) की पीठ ने दायक याचिकाओं पर फैसला सुनाया । वहीं, केंद्र ने अपना तर्क देते हुए कहा था कि अग्निपथ स्कीम डिफेंस रिक्रूटमेंट (Defense Recruitment) में सबसे बड़े नीतिगत बदलावों में से एक है. सेना में भर्ती प्रक्रिया में ये बड़ा बदलाव होगा ।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने 15 दिसंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था । दरअलस, सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती पिछले साल 14 जून से शुरू की गई थी । इस योजना के नियम के मुताबिक, 17 से 21 साल के लोग इस योजना के लिए आवेदन करने के पात्र हैं । इन्हें चार साल के लिए सेना में शामिल किया जाएगा ।
इससे पहले याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि बाकी 75 प्रतिशत उम्मीदवार चार साल बाद बेरोजगार हो जाएंगे और उनके लिए कोई योजना भी नहीं है ।