नई दिल्ली। अफगानिस्तान में करीब दो दशक तक चले अमेरिका के अभियान का आखिरकार अंत हो गया है। तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद अब अमेरिकी लोगों और जवानों के देश से पूरी तरह निकलने की तालिबानी हिदायत और अमेरिका के रवैये को लेकर अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय दुनिया की इस महाशक्ति पर सवाल उठा रहा है । भले ही अमेरिकी सेना की दो देश के बाद हुई वापसी को बाइडेन सरकार अपने लिए एक उपलब्धि मान रही हो , लेकिन पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इसे अमेरिका के लिए शर्मनाक पल करार दिया है। उन्होंने कहा कि पहली बार किसी अमेरिकी अभियान का इतना शर्मनाक अंत हुआ है।
विदित हो कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी की पहल डोनल्ड ट्रंप सरकार के कार्यकाल में ही शुरू हुई थी । लेकिन जिस तरह से अब अमेरिकी सेना की वापसी हुई है और इस पूरे घटनाक्रम के दौरान अमेरिका की जो बाइडेन सरकार की जो नीतियां रहती हैं , वह काफी विवादों में आ गई है । असल में अंतिम समय में जो बाइडेन का 31 अगस्त 2021 तक अमेरिकी सेना की वापसी करने का ऐलान करना ही उनके लिए परेशानी का सबब बन गया , जिसके बाद लगातार तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के लिए अपनी गतिविधियां बढ़ा दी थीं ।
पूरे घटनाक्रम पर अब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने बाइडेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं । उन्होंने कहा कि अमेरिकी अभियान का शर्मनाक अंत हुआ है । इतना ही नहीं इस समय जितने भी हथियार अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में छोड़कर आई है , उसकी कीमत करीब 85 बिलियन डॉलर की है , जिसे हर कीमत में अमेरिका को वापस लाना चाहिए ।
ट्रंप ने कहा कि अगर अमेरिका के इन हथियारों को वापस लौटाने से तालिबान मना कर तो उनपर सैन्य कार्रवाई करना चाहिए । पहले तो हथियारों को वापस लाने का प्रबंधन करना चाहिए , अगर ऐसा संभव न हो तो उन हथियारों को बम से उड़ा देना चाहिए । किसी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि इतनी बेवकूफी वाले तरीके से हम अभियान को खत्म करेंगे ।
ट्रंप के साथ रिपब्लिक नेता निकी हेली ने भी इस घटनाक्रम को शर्मनाक करार देते हुए कहा कि खराब हालातों में अमेरिकी लोगों को अफगानिस्तान में छोड़कर अमेरिकी सेना का वापस लौटकर आना ठीक नहीं है । अगर किसी को कोई नुकसान हुआ तो उसका जिम्मेदार बाइडेन होंगे ।