नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए कथित गैंगरेप कांड के बाद अब मामले से जुड़ी साजिश के कई खुलासे हो रहे हैं । इसी क्रम में प्रवर्तन निदेशालय ने भी एक बड़ा खुलासा किया है । ईडी की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि हाथरस के गैंगरेप कांड के बहाने यूपी में जातीय दंगा फैलाने के लिए पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पास मॉरिशस से 50 करोड़ आए थे । प्रवर्तन निदेशालय ने अपने रिपोर्ट में दावा किया है कि दंगा भड़काने के लिए फंडिंग 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की थी । अब इस मामले को लेकर गहन जांच शुरू हो गई है ।
बता दें कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रशासन ने हाथरस के गैंगरेप कांड को कथित करार देते हुए इस सबके पीछे एक साजिश होने की बात कही है । इतना ही नहीं इस मामले में दंगा भड़काने और सुनियोजित तरीके से मामले को भटकाने के लिए एक गैंग का भी पता चला है । इस कड़ी में यूपी पुलिस ने मथुरा से चार लोगों को गिरफ्तार भी किया है ।
इस सबके बाद तो तथ्य सामने रखे जा रहे हैं और जिस तरह से पीड़िता के परिजनों की नेताओं से बातचीत और गांव - इलाके के लोगों का इस पूरे मामले में घपला होने की आशंका जताई जा रही है , उसके बाद जांच एजेंसियों ने इस मामले से जुड़े कुछ तथ्यों की जांच शुरू कर दी है ।
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हाथरस में दंगे की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार चारों लोगों का पीएफआई संगठन से रिश्ता बताया जा रहा था । पुलिस ने इनके पास से भड़काऊ साहित्य बरामद किया था । इससे पहले यूपी पुलिस ने एक वेबसाइट के जरिए दंगों की साजिश का दावा भी किया है ।
इस मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय ने भी अपनी ओर से कुछ इनपुट दिए हैं । हाथरस समेत यूपी में दंगा भड़काने की साजिश के पहलू को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने भी भी केस दर्ज किया है । जांच एजेंसी ने अपनी शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि यूपी में जातीय हिंसा भड़काने के लिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग की गई थी ।
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यूपी सरकार का दावा है कि विरोध प्रदर्शन की आड़ में वेबसाइट पर देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने का तरीका बताया गया । मदद के बहाने दंगों के लिए फंडिंग की जा रही थी । इस फंडिंग की बदौलत अफवाहें फैलाने के लिए सोशल मीडिया के दुरुपयोग के भी सुराग मिले हैं ।