Saturday, April 20, 2024

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LIVE - हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक , कोर्ट ने उत्तराखंड और रेलवे को जारी किया नोटिस

अंग्वाल न्यूज डेस्क
LIVE - हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक , कोर्ट ने उत्तराखंड और रेलवे को जारी किया नोटिस

न्यूज डेस्क । उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर कब्जे को लेकर हाईकोर्ट के अतिक्रमण हटाने वाले आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई । सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई की । इस दौरान कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए उत्तराखंड सरकार और रेलवे को नोटिस जारी किया है । इस मामले में अब अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी । कोर्ट ने इस दौरान कहा कि यह एक मानवीय मामला है । हजारों लोगों को इस ठंड में 7 दिन के भीतर घर छोड़कर जाने के लिए कहना ठीक नहीं है ।

कोर्ट बोली - मानवीय नजरिए से देखना होगा केस को

 एक जमीन पर 4365 परिवारों के अतिक्रमण करने को हाईकोर्ट ने अवैध करार देते हुए , इन लोगों को 9 जनवरी तक अपना सामान लेकर निकल जाने का आदेश दिया है । इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जहां सरकार का कहना है कि जमीन सरकारी है , जबकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इसके स्वामित्व को लेकर ही विवाद है । इस मामले में 1000 से ज्यादा लंबित है । इस दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रशासन ने 7 दिन में लोगों को अपना घर खाली करने के लिए कहा गया है , क्या सरकार ने इन लोगों के लिए कोई पुनर्वास योजना बनाई है । जस्टिस कौल ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि इस मामले को मानवीय नजरिए से भी देखना चाहिए । 7 दिन में इस इलाके को खाली करने का आदेश कैसे दिया जा सकता है । इस दौरान कोर्ट ने रेलवे और उत्तराखंड सरकार से इस मामले को लेकर जवाब तलब किया है । ऐसी स्थिति में अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई पर कुछ समय के लिए रोक लग जाएगी। 7 फरवरी को अब इस मामले की अगली सुनवाई होगी ।

क्या है मामला 

बता दें कि हल्द्वानी में रेलवे की 78 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अतिक्रमण करने वालों को 9 जनवरी तक अपना सामान हटा लेने का आदेश दिया था । लोगों का कहना है कि यह उनके दादा-परदादा की जमीन रही है , जबकि सरकार और रेलवे का कहना है कि यह खनन से शुरू हुआ अतिक्रमण था , जो आज एक कॉलोनी में तब्दील हो गया है । रिपोर्ट्स के मुताबिक, क्षेत्र में लगभग 50,000 निवासियों का भाग्य, जिनमें से 90% मुस्लिम हैं, प्रशासन के साथ अधर में लटका हुआ है । 

78 एकड़ क्षेत्र में पांच वार्ड


स्थानीय निवासियों के अनुसार, 78 एकड़ क्षेत्र में पांच वार्ड हैं और लगभग 25,000 मतदाता हैं । बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और बच्चों की संख्या 15,000 के करीब है, 20 दिसंबर के HC के आदेश के बाद, समाचार पत्रों में नोटिस जारी किए गए थे, जिनमें लोगों को 9 जनवरी तक अपना घरेलू सामान हटाने का निर्देश दिया गया था। प्रशासन ने 10 एडीएम और 30 एसडीएम-रैंक के अधिकारियों को प्रक्रिया की निगरानी करने का निर्देश दिया है ।

कब्जे वाले इलाके में क्या क्या...

बता दें कि कई लोगों का दावा है कि उनके परिवार 1910 के बाद से बनभूलपुरा में गफूर बस्ती, ढोलक बस्ती और इंदिरा नगर कॉलोनियों के "कब्जे वाले इलाकों" में रह रहे हैं । इस क्षेत्र में चार सरकारी स्कूल, 10 निजी, एक बैंक, चार मंदिर, दो मजार, एक कब्रिस्तान और 10 मस्जिदें हैं जो पिछले कुछ दशकों में बनी हैं. बनभूलपुरा में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय भी है जो 100 साल से अधिक पुराना बताया जाता है । 

कोर्ट में क्या हुआ 

इस दौरान कोर्ट ने कहा - हम जानते हैं कि रेलवे के विकास के कार्य रुकने नहीं चाहिए , जिनकी दूसरी तीसरी पीढ़ी इस जगह रह रही है , इन लोगों को 7 दिन में अपना सामान लेकर जाने के लिए कहा गया है । यह ठीक नहीं है , इसके लिए सरकार ने क्या कोई पुनर्वास योजना बनाई है क्या । इस दौरान कोर्ट ने कहा कि 7 दिन तक इलाके में पैरा मिलिट्री पुलिस तैनात हो । इस मामले में एक समाधान की जरूरत है । सरकार सुनिश्चित करे कि आगे अतिक्रमण न हो । जमीन के स्वामित्व और सीमाओं पर सुनवाई होगी  ।  

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