नई दिल्ली । बहुचर्चित ज्ञानवापी केस में वाराणसी की जिला अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए हिंदुओं के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया । इससे जहां हिंदू संगठनों ने खुशी जताई है , वहीं कुछ मुस्लिम संगठनों समेत नेताओं ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया जारी की है । इसी क्रम में जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का विवादित बयान सामने आया है । उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ज्ञानवापी पर अदालत के फैसले से दंगा भड़केगा , यही भाजपा का एजेंडा भी है । असल में वाराणसी जिला अदालत ने यह कहते हुए कि श्रृंगार गौरी (Shringar Gauri) का मामला सुनने योग्य है मुस्लिम पक्ष की अर्जी को खारिज कर दिया है ।
क्या बोलीं महबूबा मुफ्ती
विदित हो कि सोमवार को वाराणसी कोर्ट के फैसले के बाद कई मुस्लिम नेताओं ने अपनी तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं । वहीं महबूबा मुफ्ती ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया - प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के बावजूद ज्ञानवापी पर अदालत के फैसले से दंगा भड़केगा और एक सांप्रदायिक माहौल पैदा होगा , जो भाजपा का एजेंडा है । यह एक खेदजनक स्थिति है कि अदालतें अपने स्वयं के फैसलों का पालन नहीं करती हैं ।
क्या बोला था मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
बता दें कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले से जुड़े अदालत के फैसले को निराशाजनक करार देते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे । मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि ज्ञानवापी के संबंध में जिला अदालत का प्रारंभिक फैसला निराशाजनक और दुखदायी है । उन्होंने आगे कहा कि 1991 में बाबरी मस्जिद विवाद के बीच संसद ने मंजूरी दी थी कि बाबरी मस्जिद को छोड़कर सभी धार्मिक स्थल 1947 में जिस स्थिति में थे, उन्हें यथास्थिति में रखा जाएगा और इसके खिलाफ कोई विवाद मान्य नहीं होगा. फिर बाबरी मस्जिद मामले के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के कानून की पुष्टि की । मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि इसके बावजूद जो लोग देश में घृणा परोसना चाहते हैं और जिन्हें इस देश की एकता की परवाह नहीं है ।