नई दिल्ली । देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे अपराध को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने एक नई व्यवस्था करते हुए सभी राज्यों को एक एडवाइजरी (Advisory) जारी की है । गृहमंत्रालय की ओर से जारी इस एडवायजरी में कहा गया है कि अब महिला अपराध पर एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा । मंत्रालय ने आईपीसी और सीआरपीसी के प्रावधान गिनाते हुए कहा कि राज्य / केंद्र शासित प्रदेश इनका पालन सुनिश्चित करें । मंत्रालय ने इस एडवायजरी को जारी करने के साथ ही साफ कर दिया है कि सरकार की ओर से जारी आदेशों का पालन करने में जो भी सरकारी अफसर लापरवाही बरतेंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी ।
बता दें कि यूपी के हाथरस में हुए कथिक गैंगरेप कांड के बाद जहां एक ओर फिर से देश में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर बहस शुरू हो गई है । वहीं इस मुद्दे पर राजनीति भी जमकर हो रही है । इसी क्रम में केंद्र सरकार ने महिलाओं के शोषण को लेकर होने वाली शिकायतों की एफआईआर दर्ज कराने को लेकर नई व्यवस्था जारी की है ।
मंत्रालय की ओर से जारी एडवायजरी में कहा गया है कि...
- महिलाओं के शोषण से जुड़े अपराध की स्थिति में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है।
- गृह मंत्रालय ने अपनी एडवायजरी में कहा गया है कि कानून में भी जीरो एफआईआर का प्रावधान है । जीरा एफआईआर तब दर्ज की जाती है, जब अपराध थाने की सीमा से बाहर हुआ हो ।
- दुष्कर्म, यौन शोषण व हत्या जैसे संगीन अपराध होने पर फोरेंसिंक साइंस सर्विसिज डायरेक्टोरेट ने सबूत इकट्ठा करने गाइडलाइन बनाई है , जिनका पालन करना अनिवार्य है ।
- इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 32(1) के तहत मृत व्यक्ति का बयान जांच में अहम तथ्य होगा ।
- इतना ही नहीं भारतीय दंड संहिता (IPC ) की धारा 166 A(c) के तहत अगर एफआईआर दर्ज नहीं की जाती है तो उसेस संबंधित अफसर के खिलाफ बी सख्त कार्रवाई का प्रावधान कानून में है ।
- आईपीसी की तरह की सीआरपीसी की धारा 173 में दुष्कर्म से जुड़े किसी भी मामले की जांच दो महीने के अंदर पूरी करने का प्रावधान है । अपराध में जांच की प्रगति जानने के लिए गृह मंत्रालय की ओर से ऑनलाइन पोर्टल बनाया है ।
- सीआरपीसी के सेक्शन 164-A के अनुसार दुष्कर्म के किसी भी मामले की सूचना मिलने के 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से एक रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर मेडिकल जांच करेगा ।