नई दिल्ली । महाराष्ट्र में शिंदे बनाम उद्धव ठाकरे मामला में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया । फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस ने कहा ऐसे सिस्टम काम नहीं करता कि चुनाव के समय आप किसी पार्टी के नाम पर वोट मांगे और बाद में पार्टी से बगावत करके किसी दूसरी पार्टी को ज्वाईन कर लें । इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा, राज्यपाल को अपने पद पर बैठकर उन शक्तियों का इस्तेमाल करना ही नहीं चाहिए जो शक्तियां संविधान ने उनको दी ही नहीं है । कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया , जिसके चलते अब हम पूर्व जैसी व्यवस्था बहाल करने का आदेश नहीं दे सकते । इस दौरान कोर्ट ने राज्यपाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी के अंदरुनी मामले को लेकर बहुमत परीक्षण ठीक नहीं था । बहरहाल , मामले की सुनवाई के लिए पीठ ने उच्च पीठ को यह मामला भेज दिया है ।
पांच सदस्यीय पीठ ने सुनाया फैसला
बता दें कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने की उद्धव ठाकरे गुट की मांग पर फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट को आज तय करना था कि पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के खिलाफ बग़ावत करने के लिए एकनाथ शिंदे और 15 अन्य विधायक अयोग्य हैं या नहीं ।
उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए उद्धव ठाकरे को राहत न देते हुए कहा कि राज्पाल का फैसला कानून के मुताबिक नहीं था , लेकिन बहुमत परीक्षण नियमों के आधार पर होना चाहिए । अब क्योंकि उद्धव ठाकरे ने अपना इस्तीफा दे दिया था , इसलिए महाराष्ट्र में पुरानी व्यवस्था बहाल नहीं की जा सकती । उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना किया ही नहीं , वह उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते तो मिलती राहत ।
बागी असली पार्टी का दावा नहीं कर सकते
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अयोग्यता की कार्रवाई से बचने के लिए बागी विधायक खुद के वास्तविक पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते हैं । वहीं सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल पर सवाल उठाते हुए कहा, राज्यपाल को अपने पद पर बैठकर उन शक्तियों का इस्तेमाल करना ही नहीं चाहिए जो शक्तियां संविधान ने उनको दी ही नहीं है । पीठ ने इस दौरान कहा कि विधायकों की अयोग्यता पर हम फैसला नहीं ले सकते ।
व्हिप जारी करने का अधिकारी पार्टी लीडर के पास
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि व्हिप जारी करने का अधिकार पॉलिटिकल पार्टी लीडर को है न कि विधायक दल के नेता को । कोर्ट ने ये भी कहा कि स्पीकर की ओर से चीफ व्हिप नियुक्त करना ग़लत था । कोर्ट ने तय किया कि अगर स्पीकर के खिलाफ हटाने का प्रस्ताव लंबित है तो वो विधायकों की अयोग्यता पर फैसला नहीं ले सकते ।
संजय राउत बोले - हमारी जीत हुई
उद्धव बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा, सरकार आएगी जाएगी लेकिन हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं । उन्होंने कहा, महाराष्ट्र की जनता देखे सुप्रीम कोर्ट ने भी राज्यपाल की भूमिका को संदिग्ध करार दिया है । यह हमारी जीत है ।
चुनाव चिन्ह को लेकर संघर्ष
दरअसल, विधानसभा उपाध्यक्ष ने इन 16 विधायकों को अयोग्य ठहराया था जिसमें एकनाथ शिंदे का भी नाम शामिल थे । हालाँकि, इस सब के बाद एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना ली और अपने गुट को असली शिवसेना गुट करार किया जिसको लेकर चुनाव आयोग में पार्टी सिंबल को लेकर दोनों गुटों के बीच लड़ाई चली ।
ठाकरे गुट पहुंचा था सुप्रीम कोर्ट
इस पूरे मामले को लेकर चुनाव आयोग ने गत फरवरी को एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना माना और पार्टी का नाम और चिन्ह ‘धनुष और तीर’ शिंदे गुट को दिया , जिसके खिलाफ उद्धव गुट सुप्रीम कोर्ट पहुंचा । कोर्ट ने इस मामले को 5 सदस्यीय संविधान पीठ को सौंप दिया । उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए कहा था कि एकनाथ शिंदे गुट के बागियों को किसी पार्टी में विलय करना चाहिए था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया । ऐसे में बगावत करने वालों को अयोग्य घोषित किया जाए ।