नई दिल्ली । संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत सरकार ने रुस के खिलाफ कड़ा फैसला लिया है । असल में सोमवार को अल्बानिया के उस प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, जिसमें रूस के अवैध जनमत संग्रह और दोनेस्तक, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया पर अवैध रूप से कब्जा करने की कोशिश की निंदा करने वाले प्रस्ताव पर सार्वजनिक मतदान की मांग की गई थी । अवैध कब्जे की निंदा करने से जुड़े मसौदे पर UNGA में गुप्त मतदान कराने की रूस की मांग के खिलाफ भारत ने वोटिंग की है । भारत समेत 100 से अधिक देशों ने सार्वजनिक मतदान के लिए वोटिंग की है ।
विदित हो कि रूस ने इस प्रस्ताव पर गुप्त मतदान की मांग की थी , जबकि भारत समेत 107 सदस्य देशों ने सार्वजिनक मतदान करवाने की बात रखी थी । इसके पक्ष में जब वोटिंग हुई तो रूस की यह मांग खारिज हो गई । महज 13 देशों ने गुप्त मतदान के पक्ष में मतदान किया, जबकि 39 देश मतदान में शामिल नहीं हुए । चीन ने भी वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया ।
सार्वजनिक मतदान के प्रस्ताव को मंजूर किए जाने के बाद, रूस ने महासभा के अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ अपील की । रूस की अपील पर एक सार्वजनिक मतदान हुआ । भारत समेत 100 देशों ने रूस की अपील के खिलाफ वोटिंग की । रूस ने इसके बाद अल्बानिया के 'रिकॉर्ड वोट' के वास्ते पेश प्रस्ताव को अपनाने फैसले पर फिर से विचार की मांग की ।
संयुक्त राष्ट्र में रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया ने कहा कि यूएन एक धोखाधड़ी का गवाह बना, जिसमें दुर्भाग्य से महासभा के अध्यक्ष की एक अहम भूमिका रही। इस बीच, यूएनजीए ने सोमवार को इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की कि क्या रूस को यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्जे की कार्रवाई को वापस लेने को कहा जाए या नहीं ।
खबरें हैं कि रूस ने सोमवार को यूक्रेन की राजधानी कीव समेत उसके कई शहरों को मिसाइल हमलों के जरिए निशाना बनाया । इन हमलों में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य लोग घायल हो गए । रूस के राजदूत ने इस चर्चा को रूस विरोधी नजरिए को बढ़ावा देने का एकतरफा प्रयास बताया और इस बहस की निंदा की ।