लखनऊ । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सरदार पटेल की तुलना जिन्ना से करने पर आड़े हाथ लिया । योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सरदार पटेल की तुलना जिन्ना से करना शर्मनाक है । देश की जनता विभाजनकारी मानसिकता को कभी स्वीकार नहीं करेगी. अखिलेश यादव को देश और यूपी की जनता से माफी मांगनी चाहिए । वहीं एक अन्य कार्यक्रम में योगी ने कहा कि ये जिन्नावादी सरकार में आएंगे तो रामभक्तों पर गोलियां चलवाएंगे । वहीं सुबे के डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि ये समाजवादी पार्टी नहीं नमाजवादी पार्टी है. अखिलेश अली जिन्ना को देश से माफ़ी माँगनी चाहिए, उन्होंने भारत रत्न सरदार पटेल की तुलना जिन्ना से कर हिंदुओं का अपमान किया है ।
विभाजनकारी मानसिकता सामने आई
विदिद हो कि सीएम योगी ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा - पिछली सरकार में बैठे लोग समाज को बांटने में लगे रहते थे । उनकी विभाजन की प्रवृति अभी तक नहीं गई है । कल मैं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की बातें सुन रहा था. वो इस राष्ट्र को जोड़ने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल की तुलना जिन्ना से कर रहे थे । सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का बयान अत्यंत शर्मनाक है । सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत की एकता और अखंडता के शिल्पी हैं । कल सपा प्रमुख की विभाजनकारी मानसिकता सामने आ गई, जब उन्होंने जिन्ना को समकक्ष रख के सरदार वल्लभ भाई पटेल की तुलना की । "
महापुरुषों पर लांछन शर्म की बात
वह बोले - ये तालिबानी मानसिकता है । हर वक्त तोड़ने का प्रयास करती है । पहले जाति और अन्य वादों के नाम पर तोड़ने की प्रवृत्ति, जब वो अपने मंसूबों पर सफल नहीं हो रहे हैं, तो महापुरुषों पर लांछन लगाके पूरे के पूरे समाज को अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं । सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बयान की पूरे समाज को निंदा करनी चाहिए । सपा प्रमुख को अपने इस कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए । सरदार वल्लभ भाई पटेल के इस अपमान को देश कभी स्वीकार नहीं कर सकता .
क्या बोले थे अखिलेश यादव...
बता दे कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को हरदोई की एक जनसभा में मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की थी. अखिलेश ने कहा, "सरदार वल्लभ भाई पटेल, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और (मोहम्मद अली) जिन्ना ने एक ही संस्थान से पढ़ाई की और बैरिस्टर बने और उन्होंने आजादी दिलाई. उन्हें आजादी के लिए किसी भी तरीके से संघर्ष करना पड़ा होगा तो पीछे नहीं हटे." अखिलेश ने आरएसएस का नाम लिए बिना कहा कि अगर कोई विचारधारा (आरएसएस की) है जिस पर प्रतिबंध लगाया गया था तो वह लौह पुरुष सरदार पटेल थे जिन्होंने प्रतिबंध लगाने का काम किया था. आज जो लोग देश को एकजुट करने की बात कर रहे हैं, वे आपको और मुझे जाति और धर्म के आधार पर विभाजित कर रहे हैं.