नई दिल्ली । कांग्रेस के भीतर पिछले कुछ महीनों से कुछ सही नहीं चल रहा है । नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की चिट्ठी के बाद से गतिरोध बरकरार है । एक बार फिर से कपिल सिब्बल ने एक इंटरव्यू में नेतृत्व परिवर्तन का मुद्दा उठाते हुए , पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाए, तो अब उनकी टिप्पणी पर कपिल सिब्बल पर ही पार्टी के नेता निशाना साध रहे हैं । सदन में नेता विपक्ष की भूमिका निभाने वाले कांग्रेसी नेता अधीर रंजन चौधनी ने कपिल सिब्बल के बयान पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बिना कुछ किए बोलना आत्मनिरीक्षण होता है ।
बता दें कि कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर जारी गतिरोध के बीच सोनिया गांधी फिर से पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बन गई हैं । इस पर कपिल सिब्बल ने एक अंग्रेजी दैनिक को दिए इंटरव्यू में नेतृत्व परिवर्तन का मुद्दा उठाया । उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता इस मामले को हल्के में ले रहे हैं , यही कारण है कि कांग्रेस का प्रदर्शन दिनों दिन गिरता जा रहा है । नेतृत्व परिवर्तन के बिना यह प्रदर्शन सुधरने वाला नहीं है ।
इस बयान पर अब कांग्रेसी नेता अधीर रंजन चौधरी का बयान आया है । उन्होंने कहा कपिल सिब्बल ने इस बारे में पहले भी बात की थी । वह कांग्रेस पार्टी और आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता के बारे में बहुत चिंतित हैं । लेकिन हमने बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या गुजरात के चुनावों में उनका चेहरा नहीं देखा ।'
असल में कपिल सिब्बल ने बिहार विधान सभा चुनाव और मध्य प्रदेश उपचुनाव के परिणामों के मद्देनजर पार्टी के भीतर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता की वकालत की । इसके बाद से लगातार कांग्रेसी नेता उनपर हमला बोल रहे हैं । लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, अगर कपिल सिब्बल बिहार और मध्य प्रदेश जाते, तो वह साबित कर सकते थे कि जो वो जो कह रहे हैं वह सही है और इससे उन्होंने कांग्रेस की स्थिति मजबूत की होती । ऐसी बातों से कुछ हासिल नहीं होगा । बिना कुछ किए बोलने का मतलब आत्मनिरीक्षण नहीं है ।
बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब कपिल सिब्बल पर किसी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने तीखा हमला किया हो , इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिब्बल पर निशाना साधा था । अशोक गहलोत का कहना था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को पार्टी के "आंतरिक मुद्दों" मीडिया में नहीं लाना चाहिए और कहा कि इससे देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है ।
वहीं सिब्बल ने उस दौरान इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें मजबूरी में अपनी बात मीडिया के सामने रखनी पड़ रही है क्योंकि पार्टी नेतृत्व ने बातचीत का कोई प्रयास नहीं किया । सिब्बल का कहना था कि बिहार और जहां उपचुनाव हुए हैं, वहां लोग कांग्रेस को "एक प्रभावी विकल्प" नहीं मानते हैं ।
बहरहाल, इस सबके बाद पार्टी के भीतर जारी गतिरोध धीरे धीरे सामने आने लगा है । हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने पिछले दिनों उभरे ऐसे गतिरोध को तो दबा दिया , लेकिन ऐसी आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में ऐसी कई आवाजें सामने आएंगी । इसका एक बड़ा कारण अब देश की अन्य राजनीतिय पार्टियों द्वारा कांग्रेस के साथ गठबंधन के बाद उनके प्रदर्शन के चलते चुनाव हारने के आरोप मढ़े जा रहे हैं ।