नई दिल्ली । भाजपा ने एक बार फिर से राफेल विमान सौदे की नई रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला है । राफेल डील में कथित घूसखोरी को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच इससे जुड़ी एक नई रिपोर्ट के सामने आने के बाद भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने INC (इंडियन नेशनल कांग्रेस ) मतलब I Need Commission बताया । उन्होंने कहा - राहुल गांधी को अवश्य इस पर जवाब देना चाहिए । वर्ष 2013 से पहले इस डील के लिए 65 करोड़ रुपये की घूस दी गई थी । पात्रा ने कहा कि किसकी सरकार में डील हुई यह पता चल गया है । 2007 और 2012 के बीच जो राफेल डील की गई थी उसमें यह घूस दी गई थी ।
कांग्रेस बिना कमिशन कुछ नहीं करती
इस दौरान पात्रा ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस बिना कमीशन के कुछ नहीं करती है । कांग्रेस ने कमीशन के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कुछ महीने पहले फ्रांस की एक मीडिया कंपनी ने यह खुलासा किया कि राफेल में भ्रष्टाचार हुआ था । जैसे ही यह खुलासा हुआ कांग्रेस पार्टी ने आव देखा ना ताव और देश के प्रधानमंत्री पर हमला बोल दिया । उस समय बीजेपी ने कहा था कि इंतजार करिए, समय आएगा तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा ।
सीक्रेट कमीशन एक मीडिल मैन के लिए था
पात्रा ने इस दौरान कहा - आज जब मीडिया पार्ट ने आर्टिकल के माध्यम से सच्चाई को सामने रखा है तो दिल दहल जाता है । यह पूरी डील वर्ष 2007 से 2012 के बीच हुई। मीडिया पार्ट के आर्टिकल को पढ़ने के बाद यह पता चला कि पूरी तरह से यह बताया गया कि द असॉल्ट एविएशन था, जिसे डील के रूप में कोड वर्ड डी को दिखाया गया । यह दसॉ एविशन ने 65 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में दिया गया था । उन्होंने कहा कि यह आर्टिकल लिखता है कि सीक्रेट कमीशन एक मीडिल मैन के लिए 36 एयरक्राफ्ट के लिए दिया गया था ।
....सुशेन मोहन गुप्ता है बिचौलिया
संबित पात्रा ने कहा कि 11 मिलियन यूरो तक यह कमीशन हिंदुस्तान में बिचौलिए के माध्यम से दिया गया, जिसका नाम सुशेन मोहन गुप्ता है । वह एक पुराना खिलाड़ी है और VVIP चॉपर डील में भी दलाल था । यह बहुत बड़ा घोटाला है जो यूपीए के कार्यकाल में हुआ । आज राहुल गांधी भारत में नहीं, इटली में है । इटली से जवाब दें उन्होंने भ्रम फैलाने की कोशिश की ।
कांग्रेस का पलटवार
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पलटवार करते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की और मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए । उन्होंने कहा कि राफेल देश का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है । राफेल में रिश्वतखोरी को दफनाने की कोशिश की गई है । मोदी सरकार द्वारा राफेल डील में भ्रष्टाचार को दफनाने के लिए ऑपरेशन कवर अप चल रहा है । पिछले 5 सालों में जो आरोप है वो देश की सत्ता में बैठे उच्चतम लोगों तक जा रहा है । अक्टूबर 2018 को बीजेपी के पूर्व मंत्री और एक वरिष्ठ वकील ने तत्कालीन CBI के निदेशक को दस्तावेज सौंपे, 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस सरकार ने भी CBI को दस्तावेज सौंपे । उसके बाद कोई जांच शुरू नहीं होती है और आधी रात को आलोक वर्मा को हटा दिया जाता है और अपने चहेते नागेश्वर राव को बना दिया जाता है । 36 महीनों में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?