लखनऊ । विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में आरोपी बनकर पिछले करीब 27 सालों तक रहे 32 लोगों को सीबीआई के विशेष जज एसके यादव ने बड़ी राहत दी । हालांकि इस मामले में कुल 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था , लेकिन बुधवार को जब सीबीआई कोर्ट के जज ने अपना फैसला सुनाया तो 17 लोगों को निधन हो चुका है । कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए साफ किया कि इस मामले में मौजूदा सबूतों के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता । उन्होंने विवादित ढांचा गिराए जाने को साजिश कहने संबंधी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह महज कारसेवकों का काम था । जब तक इन लोगों को आरोपी बनाया गया तो इन लोगों ने तो कारसेवकों को रोकने का काम किया था ।
बता दें कि विवादित ढांचा गिराए जाने के 28 साल बाद आखिरकार सीबीआई के विशेष जज एस के यादव ने अपने करियर का ऐतिहासिक और आखिरी फैसला सुनाया । आज वो इस फैसले को सुनाने के बाद रियाटर हो रहे हैं । अपने फैसले में उन्होंने कहा कि सिर्फ तस्वीरों से कुछ साबित नहीं होता है । इस मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई, फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी को जिस तरह से साबित किया गया वह साक्ष्य में ग्राह्य नहीं है ।
करीब 2300 पन्नों के जजमेंट में जस्टिस एसके यादव ने कहा - सिर्फ तस्वीरों के आधार पर ही किसी को दोषी नहीं बनाया जा सकता है । सभी आरोपियों ने विवादित ढांचे को बचाने की कोशिश की । वहां भारी संख्या में कारसेवक आ पहुंचे थे , जिन्होंने ढांचे को ढहा दिया । इसके बाद जिन 49 लोगों का नाम शामिल किया गया, उन्होंने भीड़ को काबू करने की कोशिश की ।
उन्होंने अपने फैसले में कहा कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, संगठन के द्वारा कई बार रोकने का प्रयास किया गया । ये घटना अचानक ही हुई थी।